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कोलकाता पुलिस ने कहा, खुद बचो

२२ अगस्त २०१२

यदि अपराध और हिंसा पर काबू पाना है तो बलप्रयोग का अधिकार सिर्फ पुलिस को देना होगा. लेकिन पुलिस यह जिम्मेदारी छोड़ रही है. कोलकाता पुलिस ने महिलाओं को खुद अपनी रक्षा करने की हिदायत दी है.

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तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

"आप अपने पर्स में हमेशा लाल मिर्च पाउडर या उसका स्प्रे (चिली स्प्रे), कोलोन या कोई भी डिओडोरेंट रखें. छेड़छाड़ या अपहरण की नीयत से किसी को करीब आते देख कर इनका फौरन इस्तेमाल करें. आप अपने साथ छोटी कैंची या छुरी-कांटे भी रख सकती हैं. आप अपनी सुरक्षा खुद करें." यह सलाह पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की पुलिस ने महिलाओं को दी है. वह भी मौखिक नहीं, बाकायदा लिखित तरीके से.

हाल के दिनों में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार की लगातार कई घटनाओं के बाद पुलिस ने इस पर अंकुश लगाने का यह अनूठा तरीका निकाला है. कोलकाता पुलिस ने इसके लिए बाकायदा पर्चे छपवा कर पूरे शहर में बांटे हैं. महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर काबू पाने के लिए उनको जागरूक बनाने के लिए शुरू इस अभियान के तहत ‘महिलाओं के लिए आत्मरक्षा के कुछ आसान उपाय' शीर्षक वाले इस पर्चे में महिलाओं को क्या करें और क्या नहीं करें, की सिलसिलेवार जानकारी दी गई है. पुलिस की सलाह की यह सूची काफी लंबी है.

Mamata Banerjee, Ministerpräsidentin des indischen Bundesstaates West Bengal
तस्वीर: DW

पुलिस ने कहा है कि अपनी आत्मरक्षा की पहली जिम्मेदारी महिलाओं की है. उनको साहस के साथ मनचलों और यौन अपराधियों से मुकाबला करना होगा. इसमें वे उन हथियारों का बेझिझक इस्तेमाल कर सकती हैं जो पुलिस ने पर्चे में सुझाए हैं. इस ताजा पहल से साफ है कि बीते कुछ महीनों के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध में बढ़ोतरी की बात पुलिस ने कबूल कर ली है. वह यह भी मानती है कि महिलाओं को अपनी रक्षा खुद करनी होगी. यानी वह उनकी रक्षा करने में समर्थ नहीं है. वैसे, नागरिकों में जागरुकता फैलाने के लिए पुलिस की ओर से पहले भी कई अभियान चलाए जाते रहे हैं. लेकिन इससे पहले कभी महिलाओं को अपनी रक्षा खुद करने की सलाह नहीं दी गई थी. अब महिलाओं के खिलाफ हाल में तेजी से बढ़े अपराधों के बाद पुलिस ने मजबूरन उनको यह सलाह दी है.

पुलिस ने महिलाओं से कहा है, "घर हो या दफ्तर या फिर सड़क, हमेशा सतर्क रहें. अगर किसी को बुरी नीयत से अपने करीब आते देखें तो चिल्लाएं और उसका विरोध करें. अपने पर्स में हमेशा चिली सप्रे या कोई अन्य स्प्रे रखें. जहां तक संभव हो अपनी मित्र या सहकर्मी के साथ ही बाहर निकलें." पुलिस की सलाह है कि अगर मजबूरन अकेले ही बाहर निकलना पड़े तो अपने पर्स या थैले में कलम, कैंची, चम्मच या छुरी-कांटे जैसा ‘हथियार' रखें और जरूरत पड़ने पर हमलावर के खिलाफ इनका इस्तेमाल करें. पुलिस के पर्चे में खासकर अकेले रहने वाली महिलाओं को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.

बढ़ते अपराध

हाल के महीनों में कोलकाता और आसपास के जिलों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं में काफी तेजी आई है. कुछ महीने पहले पार्क स्ट्रीट जैसे इलाके में एक महिला के साथ हुई बलात्कार के मामले की गुत्थी अब तक नहीं सुलझ सकी है. उसके बाद बर्दवान में एक विधवा महिला के साथ चलती ट्रेन से उतार कर सामूहिक बलात्कार किया गया. पिछले महीने अस्पताल से लौट रही एक महिला के साथ कार में ही बलात्कार हो गया. अभी इसी महीने कोलकाता में सामूहिक बलात्कार की दो घटनाएं हो चुकी हैं.

तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के अलावा खुद पुलिस महानिदेशक भी ज्यादातर घटनाओं को मनगढ़ंत और सरकार को बदनाम करने की साजिश बताया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पार्क स्ट्रीट की घटना को पहले मनगढ़ंत करार दिया था. लेकिन खुफिया विभाग की प्रमुख दमयंती सेन इस घटना को हकीकत बताती रहीं. बाद में उनका तबादला कर दिया गया था.

देश में अव्वल है बंगाल

नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2011 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में पश्चिम बंगाल पूरे देश में अव्वल रहा. यहां उस दौरान ऐसे 29,133 मामले दर्ज किए गए. वर्ष 2010 में ऐसे मामलों की तादाद 26,125 थी. महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले बढ़ने के बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक नपराजित मुखर्जी ने तमाम जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों से महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में ठोस कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. मुखर्जी मानते हैं कि महिलाओं के साथ कुछ जगहों पर दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं. वह कहते हैं, "पुलिस अधीक्षकों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं घटें."

महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध के मामलों ने ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र कहते हैं, "एक महिला मुख्यमंत्री के राज में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध सुशासन और कानून-व्यवस्था दुरुस्त होने की दावे की पोल खोलते हैं." उनका सवाल है कि क्या पुलिस महिलाओं को अपनी रक्षा खुद करने की सलाह देकर ही अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो सकती है? वह रक्षक से सलाहकार की भूमिका में क्यों आ गई है? जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका महाश्वेता देवी ने भी महिलाओं के खिलाफ बढ़े अपराधों पर चिंता जताई है. वह कहती हैं, "सरकार और पुलिस को इन पर अंकुश लगाने की दिशा में ठोस पहल करनी चाहिए."

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः महेश झा