कोलंबियाई गुरिल्ला योद्धाओं की झलक
लैटिन अमेरिका का सबसे बड़ा और सबसे पुराना गुरिल्ला समूह फार्क कोलंबिया में सरकारी सेनाओं के खिलाफ करीब 5 दशक से लड़ रहा है. इनकी महिला योद्धाएं बेहद खतरनाक मानी जाती हैं. कोलंबिया के जंगलों में इनके जीवन की झलकियां...
फार्क और सरकारी सेनाओं के बीच हिंसक संघर्ष को खत्म करने के लिए 23 मार्च तक एक शांति समझौता तैयार किए जाने का लक्ष्य है. इसमें अब तक दो लाख से ज्यादा मौतें और करीब 40,000 लोग गुमशुदा हो चुके हैं. कोलंबियाई गुरिल्ला योद्धाओं में से एक जूलियाना (तस्वीर में) का 16 साल की उम्र में उसके सौतेले पिता ने बलात्कार किया. फिर वह भाग कर फार्स में शामिल हो गयी. अब जंगलों में अलेक्सिस उसका पार्टनर है.
करीब 7,000 की तादाद वाले फार्क लड़ाकू दस्ते में लगभग एक तिहाई महिलाएं हैं. खूफिया जानकारी इकट्ठा करना, सरकारी बलों की गतिविधियों के बारे में जानकारी देना और आम शहरियों के साथ घुल मिल कर उनसे ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं निकालना इनके प्रमुख काम हैं. हवाना की शांति वार्ता के बाद गुरिल्ला योद्धा जूलियाना राजनीति में सक्रिय होना चाहेंगी.
फार्क की महिलाएं पूछताछ के दौरान काफी क्रूर रवैया अपनाने के लिए जानी जाती हैं. इन्हें पुरुषों के मुकाबले अपनी विचारधारा को लेकर ज्यादा कट्टर भी माना जाता है. वामपंथी विचारों वाले फार्क ने अपनी पहली लड़ाई किसानों के हक के लिए लड़ी थी. मार्क्स और चे गुएवेरा से प्रभावित ये योद्धा अपनी लड़ाई का खर्च निकालने के लिए ड्रग्स कारोबार भी करते हैं.
कुछ साल पहले यह पता चला था कि कैसे इन गुटों में शामिल महिलाओं के गर्भवती होने का पता चलने पर उनका जबरन गर्भपात करवा दिया जाता था. अगर कोई बच्चा पैदा हो भी गया तो उसे मां से कहीं दूर ले जाया जाता था. ऐसी कई महिलाएं जो युद्ध छोड़ कर भाग निकलीं थीं, अपने खोए हुए बच्चों की तलाश में जंगलों में भटकती हैं.
जंगलों में रहते हुए भी इन योद्धांओं की कार्यशैली काफी आधुनिक है. कास्त्रो (तस्वीर में) की ही तरह गुट की महिला सदस्य आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर बाहरी दुनिया के बराबर संपर्क में रहती हैं. हवाना में आयोजित शांति वार्ता में फार्क की ओर से कास्त्रो ने भी हिस्सा लिया था. शांति वार्ताओं को शुरु हुए करीब तीन साल हो चुके हैं.
कम उम्र के बच्चों और बच्चियों को जबरन इस सेना में शामिल किए जाने की कई कहानियां रही हैं. लेकिन इस जंगल कैंप की तस्वीरों से ऐसा नहीं लगता. यहां लिंग के आधार पर कोई भेदभाव भी नहीं दिखता. महिला और पुरुष दोनों ही हथियार चलाने से लेकर खाना बनाने तक के सारे काम करते हैं.
इन जंगलों में भी आमतौर पर वही खाना खाया जाता है जो कि एक गरीब दक्षिण अमेरिकी परिवार में मिलता है. चावल, अंडे, सॉसेज और बीन्स. ये अपना खाना साथ लेकर यायावरी का जीवन जीते हैं. अलेक्सिस ने बताया, "फार्क में हम पैसों को कभी हाथ नहीं लगाते, हमारे पास ड्रग्स से लेकर सिगरेट तक सब कुछ रहता है."
41 साल के जुआन पाब्लो 35वीं फार्क फ्रंट के कमांडर हैं. पिछले 25 सालों से लड़ाई में शामिल रहे पाब्लो का मानना है, "इस लड़ाई का अंत बिना किसी विजेता के होगा." शांति समझौते के अनुसार ये गुरिल्ला योद्धा हथियार छोड़ देंगे. कोलंबिया का यह गृह युद्ध दुनिया के सबसे जानलेवा संघर्षों में गिना जाता है.