कोरोना के जाल में फंसा मीडिया
कोरोना महामारी से जुड़ी खबरों को दुनिया के सामने रखने वाले पत्रकारों को कई देशों में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कई देशों में अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए सरकारें पत्रकारों की कलम पर पाबंदियां लगा रही हैं.
चीन
कोरोना से जुड़ी खबरों पर चीन की पैनी नजर है. मीडिया में उनकी कवरेज पर कई तरह की सेंसरशिप के आरोप लग रहे हैं. सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में कोरोना वायरस के जुड़ी किसी भी अकादमिक रिसर्च के प्रकाशन पर पाबंदी लगा दी गई है.
तुर्की
राष्ट्रपति रैचेप तैयप एर्दोवान अपनी आलोचना करने वाले मीडिया को दबाने के लिए कोरोना वायरस की आड़ ले रहे हैं. खबर है कि कुछ दिन पहले एर्दोवान ने कैबिनेट की बैठक में कहा था, "देश को सिर्फ कोरोना वायरस से ही नहीं, बल्कि सभी मीडिया राजनीतिक वायरसों से भी बचाना है."
ईरान
कोरोना वायरस से जुड़ी खबरों की ईमानदारी से रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को ईरान में भी परेशान किया जा रहा है. इस सिलसिले में ना सिर्फ कई पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है, बल्कि सोशल मीडिया यूजर्स पर भी कार्रवाई की गई है.
इराक
इराक की सरकार ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स का लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित रखा. इसकी वजह थी एक रिपोर्ट जिसमें इराक में कोविड19 के आधिकारिक आंकड़ों को लेकर सवाल उठाए गए थे.
मिस्र
मिस्र में कोरोना वायरस की कवरेज के लिए ब्रिटिश अखबार गार्डियन के लिए काम करने वाले एक रिपोर्टर का लाइंसेंस रद्द किए जाने की खबर है जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकार को भी इसी तरह की धमकी दी गई.
हंगरी
हाल में ही प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की सरकार ने कोरोना वायरस कानून पारित किया. इसके तहत गलत सूचना देने पर पांच साल तक की जेल हो सकती है. हंगरी में प्रेस की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर यूरोपीय संघ लगातार चिंता जताता रहा है.
कैद में पत्रकार
वेनेजुएला में कोविड-19 के बारे में रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार डार्विन्संस रोजस को जेल में डाला गया. दूसरी ओर, कंबोडिया में सरकार के 17 आलोचकों को जेल की सजा हुई. इसी तरह थाईलैंड में एक व्हिसल-ब्लोअर को जेल में डाला गया.