कोरोना की कितनी किस्में हैं भारत में
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि सबसे पहले भारत में सामने आई कोरोना वायरस की किस्म अब 53 देशों में फैल चुकी है. आखिर वायरस के कितने वेरिएंट हैं भारत में?
क्या होते हैं वेरिएंट
वायरस म्युटेशन की बदौलत हमेशा बदलते रहते हैं और इस परिवर्तन से उनकी नई किस्मों का जन्म होता है जिन्हें वेरिएंट कहते हैं. कभी कभी नए वेरिएंट उभर कर गायब भी होते हैं और कभी कभी वो मौजूद रहते हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया में इस संक्रमण को फैलाने वाले कई वेरिएंट पाए गए हैं.
यूके वेरिएंट
इसका वैज्ञानिक नाम बी.1.1.7 है और यह सबसे पहले यूके में पाया गया था. दिसंबर 2020 से लेकर मार्च 2021 तक यह कई देशों में पाया गया. इंग्लैंड के बाहर इसे इंग्लिश वेरिएंट या यूके वेरिएंट के नाम से जाना जाता है.
दक्षिण अफ्रीका वेरिएंट
बी.1.351 को दक्षिण अफ्रीका वैरिएंट के नाम से जाना जाता है. यह सबसे पहले अक्टूबर 2020 में दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था. धीरे धीरे यह भारत समेत कई देशों में फैल गया और फरवरी 2021 में यह भारत में भी पाया गया.
ब्राजील वेरिएंट
इसका वैज्ञानिक नाम पी.1 है और यह सबसे पहले जनवरी 2021 में ब्राजील में पाया गया था. इस ब्राजील में आई घातक दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जाता है. फरवरी 2021 में यह भारत में भी पाया गया.
पश्चिम बंगाल वेरिएंट
इसके वैज्ञानिक रूप से बी.1.618 के नाम से जाना जाता है. मार्च में पश्चिम बंगाल में यह बड़ी संख्या में संक्रमण के मामलों के लिए जिम्मेदार पाया जा रहा था, जिसकी वजह से इसे पश्चिम बंगाल वैरिएंट भी कहा जा रहा था. लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि अब यह वेरिएंट कमजोर हो गया है.
'भारतीय' वेरिएंट
यह एक ऐसा वेरिएंट है जो जीनोमिक अध्ययन में पहली बार भारत में ही पाया गया था. इसे बी.1.617 का नाम दिया गया है. भारत में अप्रैल से फैली संक्रमण की घातक लहर के लिए इसी वेरिएंट को बड़े स्तर पर जिम्मेदार माना जा रहा है. इसमें वायरस के स्पाइक प्रोटीन में दो म्युटेशन पाए जाते हैं. स्पाइक प्रोटीन वो प्रोटीन होता है जिसकी मदद से वायरस मानव शरीर की कोशिकाओं में घुसता है और शरीर को संक्रमित करता है.
सब-वेरिएंट
वैज्ञानिकों का मानना है कि बी.1.617 के अपने तीन उप-वेरिएंट भी बन चुके हैं. बी.1.617 को अब बी.1.617.1 के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा बी.1.617.2 और बी.1.617.3 नाम के दो और उप-वेरिएंट देखे गए हैं. माना जा रहा है कि इनमें से बी.1.617.2 यूके में सामने आने वाले सबसे ज्यादा नए मामलों के लिए जिम्मेदार है.