कोरोना का बच्चों पर हो रहा है ऐसा असर
कोरोना वायरस ने दुनिया भर को अपनी चपेट में ले लिया है. इसका असर बच्चों पर भी पड़ रहा है. कहीं वे मां बाप के साथ सड़कों पर हैं, वायरस के खतरे को झेल रहे हैं तो कहीं लॉकडाउन में स्कूल नहीं चलने की वजह से घरों में बंद हैं.
स्कूल बंद
जर्मनी में पूरे देश के लिए लॉकडाउन नहीं है, लेकिन स्कूल, कॉलेज और किंडर गार्टन बंद हैं.
खाली क्लास
स्कूल बंद हैं और क्लास खाली पड़े हैं. जर्मनी और बहुत से दूसरे देशों में ये नजारा आम है.
घर पर पढ़ाई
स्कूल बंद है, बच्चे स्कूल नहीं जा सकते. लेकिन बच्चों को बहुत सा होमवर्क मिला है.
कंप्यूटर पर पढ़ाई
जिन बच्चों के पास कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा है वे अपना मन पढ़ाई कर या खेलकर लगा सकते हैं.
मैट्रिक की परीक्षा
लॉकडाउन के बावजूद सेकंडरी की परीक्षाएं होंगी. स्कूली बच्चों को परीक्षा की तैयारी भी करनी पड़ रही है.
व्यस्त रखने का टास्क
लॉकडाउन में माता पिता पर बच्चों को व्यस्त रखने की जिम्मेदारी भी है. आखिर बोरियत में वे तंग भी करने लगेंगे.
वायरस से सुरक्षा
जहां बच्चे अपने मां बाप के साथ कुछ समय बाहर निकल सकते हैं, वहां वे भी मास्क पहने हैं.
चीन में बच्चे
चीन में बच्चे खुली हवा में सांस लेने बाहर तो निकल रहे हैं, लेकिन वायरस से सुरक्षा का बंदोबस्त करके.
कुछ के लिए बोरियत
घर में सारा समय बंद रहना बच्चों के लिए आसान नहीं. माता पिता उनके साथ बहुत तरह के घरेलू खेल खेल रहे हैं.
प्लेग्राउंड भी बंद
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए रिहायशी इलाकों के प्लेग्राउंड भी बंद हैं. बच्चे वहां भी नहीं जा सकते.
कोरोना की परेशानी
जर्मनी में बच्चे घर के बाहर कोरोना के खिलाफ लिखकर अपने जज्बात बाहर निकाल रहे हैं.
होम ऑफिस
जिन मांओं को होम ऑफिस करना पड़ रहा है, उन्हें छोटे शिशुओं का भी ख्याल रखना होता है.
दक्षिण अफ्रीका में भी बंदी
दक्षिण अफ्रीका में भी बच्चे लॉकडाउन के कारण घरों में बंद हैं. वहां कम से कम 17 अप्रैल तक कर्फ्यू है.
टेबल फुटबॉल
इराक में भी बच्चे घर में ही कोई ना कोई खेल खेलकर अपनी बोरियत कम करने की कोशिश कर रहे हैं.
रिफ्यूजी बच्चे
युद्ध से भागते बहुत से लोग रिप्यूजी कैंपों में रह रहे हैं. यहां ग्रीस के मोरिया कैंप में इस परिवार से हाथ से बनाए मास्क पहन रखे हैं.
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