कोयला-मुक्त भविष्य का सपना कैसे पूरा करेगा जर्मनी
जर्मन सरकार का कहना है कि आने वाले सालों में वह कोयले का इस्तेमाल पूरी तरह खत्म करना चाहता है. देश के ऊर्जा परिदृश्य में ऐसा महात्वाकांक्षी लक्ष्य कैसे हासिल किया जाएगा, इसके लिए कुछ अहम आंकड़ों पर नजर डालते हैं.
2038
यह वह साल है जब तक जर्मनी पूरी तरह कोयला मुक्त हो जाना चाहता है. इसके लिए साल दर साल कोयले से मिलने वाली ऊर्जा का हिस्सा घटाते जाने की योजना है. इसे देश में लागू करने के उपाय सुझाते हुए जर्मनी के सरकारी आयोग ने 278 पेजों की अंतिम रिपोर्ट दी है.
35.4
सन 2018 में जर्मनी में कोयले से देश की कुल ऊर्जा का 35.4 फीसदी पैदा किया गया. तुलना करें तो जर्मनी के पड़ोसी देश फ्रांस में साल 2018 में ही केवल 3 फीसदी ऊर्जा का उत्पादन कोयले से किया गया था.
4
फिलहाल केवल चार ऊर्जा कंपनियां जर्मन सरकार के साथ बातचीत कर रही हैं. कंपनियों को उनकी कोयला आधारित परियोजनाएं बंद करने के लिए कई अरब यूरो का मुआवजा दिया जाना है.
40 अरब यूरो
यह वह रकम है जो इलाके में ढांचागत बदलाव के लिए 2018 से लेकर 20 सालों की अवधि में निवेश करने की जरूरत है. इतना खर्च करने से कोयले पर आधारित इलाकों में आर्थिक संरचना की वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकेगी.
20+40
जर्मनी में करीब 20 हजार नौकरियां सीधे तौर पर कोयले से जुड़ी हैं. करीब 40 हजार और नौकरियां भी कोयला क्षेत्र से परोक्ष तौर पर जुड़ी हैं. ये सारी नौकरियां ब्रांडेनबुर्ग और सैक्सनी जैसे देश के आर्थिक रूप से अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्र में हैं.
2015
यह पेरिस जलवायु समझौते का साल था जब जर्मनी ने वादा किया कि वह अपना ग्लोबल वॉर्मिंग का लक्ष्य 2 डिग्री सेल्सियस के नीचे रखेगा. इसके लिए ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बहुत तेजी से कम करने की जरुरत होगी. जर्मनी के कोयले के कारखाने पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करते हैं.
2020
माना जा रहा है कि जर्मनी पेरिस जलवायु समझौते में 2020 के लिए दिया हुआ लक्ष्य पूरा नहीं कर पाएगा. देश में भूरे कोयले की खदानों को तो बंद कर दिया गया है मगर विदेशों से जीवाश्म ईंधन अभी भी आयात होता है.