कॉल्टन की सबसे बड़ी खदान
दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाली हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में कॉल्टन का खूब इस्तेमाल होता है. इसकी सबसे बड़ी खदान अफ्रीकी देश कांगो में है.
पत्थरों में छुपा खजाना
मासिसी इलाके में रुबाया खदान है. यह इलाका ज्वालामुखीय है, जिसकी वजह से यहां बेशकीमती धातुएं और अयस्क दबे हैं. भारी बारिश के बाद कॉल्टन जैसी धातु बहकर निचले इलाकों में आती है. यही बारिश पूर्वी कांगो को दुनिया का सबसे बड़ा कॉल्टन का भंडार बनाती है.
खनन अधिकारों का झगड़ा
कॉल्टन दुर्लभ पदार्थ है. इससे टैंटलम नाम की धातु निकाली जाती है, जिसका इस्तेमाल करीबन हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में होता है. लंबे वक्त तक इसे खूनी धातु कहा जाता था क्योंकि कांगो में इसके खनन को लेकर खूब अपराध होते थे. आज भी उग्रवादी संगठन और सेना कॉल्टन की खुदाई के लिए संघर्ष करते हैं. हथियारों के बल पर लोगों से खनन का काम कराया जाता है.
जातीय हिंसा
रुबाया खदान पर लंबे वक्त तक उग्रवादियों का कब्जा रहा. 2006 में ताकतवर तुत्सी परिवार ने सरकार से खनन का अधिकार लिया. तुत्सी लंबे वक्त तक विद्रोहियों की भूमिका में रहे. खदान के आस पास रहने वाले ज्यादातर लोग हुतू समुदाय के हैं. तुत्सी और हुतू समुदाय के बीच लंबे वक्त से दुश्मनी चली आ रही है.
बंदूक के बदले बिजनेस
2012 में दोनों समुदायों के बीच एक समझौता हुआ. इसके तहत 3,500 लोगों की एक सहकारी संस्था बनाई गई. हथियार डालने वाले लोगों को फावड़ा दिया गया. इसके बाद धीरे धीरे उग्रवाद और बाल मजदूरी का खात्मा करने का दावा किया गया. आज दुनिया भर में कॉल्टन की बड़ी खेप यहीं से जाती है.
मेहनत का फल मालूम नहीं
आज 50,000 लोग कॉल्टन जुटाने का काम करते हैं. कामगार एक दिन में करीब 10 यूरो कमाते हैं. कमाई के चक्कर में किशोर स्कूल नहीं जा रहे हैं. एक खनिक के मुताबिक, "हम नहीं जानते की इस पदार्थ से क्या बनाया जाता है, इसे कहां भेजा जाता है."
शांत ज्वालामुखी
कॉल्टन की वजह से रुबाया शहर भी व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र बन गया. लेकिन अब माइनिंग कंपनी पर गैरकानूनी रूप से कुछ ठेकेदारों को हिस्सेदारी बेचने के आरोप लग रहे हैं. खदान बंद कर दी गई है. ऐसे आरोप संघर्ष को फिर से हवा दे सकते हैं.
खस्ताहाल लोग
इब्राहिम रुबाया में सीमेंट, पेंट, स्क्रू और टूल्स बेचते हैं. इब्राहिम के मुताबिक, "पैसे का बहाव बिल्कुल बंद है. लोग घर बना ही नहीं रहे हैं. खदान फिर खुलेगी तो शायद घर भी बनने लगेंगे."