कॉमेडियन ने किया चांसलर मैर्केल पर मुकदमा
२ अप्रैल २०१९साल 2016 में जर्मनी के यान बोएमरमन ने एक ऐसी कविता लिखी जिसके कारण जर्मनी और तुर्की के रिश्तों को एक बुरे दौर से गुजरना पड़ा. बोएमरमन के खिलाफ जांच भी हुई. उस दौरान चांसलर अंगेला मैर्केल ने कविता को "जान बूझ कर की गई मानहानि" बताया था. क्योंकि बोएमरमन ने कविता टीवी पर प्रसारित होने वाले अपने लेट नाइट शो के दौरान पढ़ी थी, इसलिए देश भर में इस पर काफी चर्चा हुई. अब कॉमेडियन मैर्केल की टिप्पणी को ले कर अदालत पहुंचे हैं.
बर्लिन की प्रशासनिक अदालत ने समाचार एजेंसी डीपीए को बताया कि बोएमरमन ने दो हिस्सों में मुकदमा दर्ज किया है. सबसे पहले तो बोएमरमन चाहते हैं कि अदालत मैर्केल को दोबारा सार्वजनिक रूप से उनकी कविता को मानहानि भरा कहने पर रोक लगाए. अगर अदालत बोएमरमन की इस मांग को ठुकराती है, तो वे चाहते हैं कि अदालत यह स्पष्ट करे कि मैर्केल का उनकी कविता का मूल्यांकन गैरकानूनी था. बर्लिन की अदालत 16 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई करेगी और उसी दिन इस पर नतीजा भी सुना देगी. इस दौरान मैर्केल खुद अदालत नहीं आएंगी, बल्कि उनके वकील उनका प्रतिनिधित्व करेंगे.
ऐसा क्या था कविता में?
मामला तीन साल पुराना है. मार्च 2016 में सरकारी चैनल जेडडीएफ पर बोएमरमन ने अपने लेट नाइट शो "नियो मैगजीन रॉयल" में एक व्यंग्य से भरी कविता पढ़ी. राजनीतिक व्यंग्य दुनिया भर में कॉमेडियन लोगों के बीच एक लोकप्रिय टीवी फॉर्मेट है और यह शो भी उसी पर आधारित है. लेकिन अपने व्यंग्य में बोएमरमन इतना आगे निकल गए कि दावा कर दिया कि एर्दोवान नाबालिग बच्चों वाली पोर्न फिल्में देखते हैं और जानवरों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं.
हालांकि कविता सुनाने से पहले ही बोएमरमन इसका उद्देश्य भी बता चुके थे. उनका कहना था कि वे आलोचना और अपमान के बीच फर्क दिखाना चाहते थे. साथ ही वे जर्मनी के उस कानून की भी आलोचना करना चाहते थे जो किसी भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के अपमान को आपराधिक बताता है. इसके अलावा वे एर्दोवान द्वारा विभिन्न देशों में मानहानि के मुकदमों का भी मजाक उड़ाना चाहते थे.
इस शो के प्रसारण के बाद एर्दोवान ने जर्मनी से बोएमरमन के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की. जांच शुरू भी हुई लेकिन बाद में इसे रोक दिया गया. हालांकि आज भी कविता के कुछ अंशों को प्रकाशित करने पर रोक बनी हुई है. इस मामले के बाद देश में राष्ट्राध्यक्षों की मानहानि वाले कानून पर इतनी चर्चा हुई कि 2017 में संसद ने इस कानून को ही खत्म कर दिया.
क्या कहा था मैर्केल ने?
उस समय मैर्केल के प्रवक्ता श्टेफान जाइबर्ट ने पत्रकारों से कहा था कि चांसलर का मानना है कि कविता को जान बूझ कर अपमानजनक तरीके से लिखा गया है. इसके बाद तुर्की के आग्रह पर जर्मन सरकार ने कविता को समीक्षा के लिए अदालत भी भेजा. बोएमरमन के वकील ने दलील दी कि इस तरह की समीक्षा असली मामले के अदालत में पहुंचने से पहले ही एक तरह का प्री-ट्रायल थी जिससे उनके मुवक्किल पर नकारात्मक असर पड़ा. बाद में चांसलर ने माना कि उन्होंने कविता पर जो टिप्पणी की थी, वह उनकी भूल थी.
आईबी/एए (डीपीए)
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