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कैसे चुना जाएगा अगला पोप

१२ फ़रवरी २०१३

पोप बेनेडिक्ट 16वें के इस्तीफे के बाद नए पोप पर चर्चा शुरू हो गई है और यूरोप के बाहर से किसी के पोप बनने की भी बात चल रही है. हो सकता है कि कोई अश्वेत वैटिकन पहुंचे लेकिन नियम कानूनों के तहत कोई महिला पोप नहीं बन सकती.

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तस्वीर: dapd

ईसा मसीह के बाद से कैथोलिक धर्म के सबसे बड़े पद को पोप कहा जाता है, जिसका शाब्दिक मतलब होता है पापा यानी पिता. पोप का चुनाव एक जटिल प्रक्रिया के तहत होती है, जिसमें कार्डिनलों का समूह वैटिकन में जमा होता है और वोटिंग के जरिए पोप को चुनता है. इसके लिए पहले से कोई नाम प्रस्तावित नहीं होता. आईए जानते हैं कि नए पोप का चुनाव कैसे होता है.

  • पोप कॉनक्लेव के लिए वोटिंग करने वाले कार्डिनल सिस्टीन चैपल के अंदर जमा होते हैं. यह बैठक पोप के चुने जाने तक चलती है. यह बैठक बाहर की दुनिया से कटी रहती है और उन्हें न तो फोन और न ही ईमेल करने की इजाजत होती है. तो अगर कोई उम्मीद करे कि वोटिंग प्रक्रिया के दौरान लाइव ट्वीट हो, तो यह संभव नहीं है.
  • कोई भी कार्डिनल किसी पोप के नाम का प्रचार नहीं कर सकता है. लेकिन इसके बाद भी नए पोप के नाम पर चर्चा चलती रहती है. इस बार घाना के पीटर टुर्कसन और नाइजीरिया के जॉन ओनाइकेन के नामों की चर्चा चल रही है. अगर इनमें से कोई चुना गया, तो ईसाई धर्म को एक अश्वेत पोप मिलेगा.
  • वोटिंग में शामिल कार्डिनल को गोपनीयता की शपथ लेनी पड़ती है कि वे पोप के लिए इस वोटिंग की कोई भी जानकारी दुनिया के सामने सार्वजनिक नहीं करेंगे.
  • कोई भी पुरुष, जो कैथोलिक हो और जिसका बपतिस्मा हो चुका हो, वह पोप बन सकता है. लेकिन हाल की सदियों में कभी भी किसी गैर कार्डिनल को पोप नहीं चुना गया है. इस नियम के साथ यह भी साफ हो जाता है कि कोई महिला पोप नहीं बन सकती. हालांकि अफवाहें हैं कि मध्य काल में एक बार एक महिला ने पुरुषों के कपड़े पहन कर पोप का काम काज देखा था. इस विषय पर फिल्म भी बन चुकी है, "पोप युआन".
  • इस बार कार्डिनलों का समूह वैटिकन में ऐसी जगह इकट्ठा होगा, जो पिछले पोप जॉन पॉल द्वितीय ने बनवाई थी. सिर्फ 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल ही इस वोटिंग में मतदान कर सकते हैं. हालांकि 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के पास भी राय रखने की इजाजत है.
  • हर चक्र की वोटिंग के बाद कार्डिनल के बैलेट पेपर को जला दिया जाता है. सिस्टीन चैपल की चिमनी से इसके बाद धुआं निकलता है. पोप को चुनने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है. अगर यह बहुमत नहीं जुट पाता है, तो इस आग में कुछ ऐसा मिला दिया जाता है, जिससे काला धुआं निकले. अगर काला धुआं निकल रहा है, तो मतलब कि नए पोप को नहीं चुना जा सका है. लेकिन अगर सफेद धुआं निकला तो उसका मतलब होता है कि नए पोप का चुनाव हो गया है.
  • अगर दो तिहाई बहुमत नहीं मिल पाता है, तो वहां जमा कार्डिनल मामूली बहुमत के फॉर्मूले पर भी राजी हो सकते हैं. इस वोटिंग के बाद उच्च पदस्थ कार्डिनल सेंट बासिलिका की बालकनी में आता है और नए पोप के नाम का एलान करता है.
  • अंत में चुना गया पोप अपना नया नाम चुनता है. उसे इस बात का अधिकार है कि वह ईसाई धर्म की सबसे ऊंची पदवी पर किस नाम से बैठे.

एजेए/एमजे (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)