कैसे काम करती है एड्स से बचाने वाली दवा
एड्स से बचाने वाली प्रेप नाम की दवा इस गंभीर बीमारी को फैलने से रोक सकती है. लेकिन अब तक पूरे विश्व में इसे अपनाने में दिक्कतें आ रही हैं. जानिए इस दवा की पांच खास बातें.
कैसे काम करता है
'प्रेप' का पूरा नाम है - प्री एक्सपोजर प्रोफाइलैक्सिस. इसे एंटीरेट्रोवायरल ड्रग से बनाया जाता है. यह संक्रमित लोगों के शरीर में एचआईवी वायरस की संख्या को घटाता है. इस तरह उनसे किसी और को यह वायरस फैलने की संभावना कम हो जाती है. यह उन लोगों को बचाने के लिए है जिन्हें अब तक एचआईवी संक्रमण नहीं हुआ है. गर्भनिरोधक गोलियों की ही तरह इन्हें भी हर रोज लेना होता है.
बहुत असरदार
गर्भनिरोधक गोलियों की ही तरह यह भी 100 फीसदी असरदार है लेकिन केवल तब तक जब मरीज इसे नियमित रूप से ले रहा हो. सैन फ्रैंसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने पाया कि नियमित तौर पर लेने से लोगों में यौन संपर्क के कारण फैलने वाले एचआईवी के मामलों को 96 फीसदी तक कम किया जा सकता है. पूरे विश्व में इस समय करीब 3.69 करोड़ों लोग एचआईवी ग्रस्त हैं और हर दिन 5,000 नए लोग इसके वायरस से संक्रमित हो रहे हैं.
लोकप्रिय ना होना समस्या
सन 2012 से ही अमेरिका में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध इस दवा को अब तक ऐसे केवल 10 फीसदी लोग ही लेते हैं, जिन्हें संक्रमण का गंभीर खतरा है. अमेरिका में करीब 40,000 नए लोगों को हर साल एड्स का संक्रमण होता है. अमेरिका अगले पांच सालों में नए संक्रमण को 75 फीसदी तक घटा कर इस बीमारी से छुटकारा चाहता है.
सुरक्षित है दवा
प्रेप को दवा के रूप में लेने के उतने ही दुष्प्रभाव हैं जितने एसपिरिन जैसी आम दवा के होते हैं. पेन किलर दवाओं की तरह ही इसका कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं पाया गया है. दवा के बारे में समझ की कमी के साथ साथ उसका महंगा होना एक समस्या है. कई बार हेल्थकेयर पेशेवर भी दवा सुझाने में देर या लापरवाही कर देते हैं.
सभी यौन बीमारियों से नहीं बचाती
प्रेप लेने वालों को यह नहीं समझना चाहिए कि इससे सभी यौन संक्रमणों से बचा जा सकता है. हर्पीज, क्लेमाइडिया, गोनोरिया या सिफिलिस जैसी बीमारियों से बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने में कंडोम का इस्तेमाल जरूरी है. (सैम बेकर/आरपी)