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कैसे अलग हैं इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब?

१३ मार्च २०१९

इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब, दो अलग-अलग चीजें हैं जिन्हें अक्सर एक ही समझ लिया जाता है. लेकिन ये दोनों आपस में बहुत जुड़ी हुई हैं.

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google homepage Bildschirm Lupe
तस्वीर: picture-alliance/Bildagentur-online/Schoening

इंटरनेट मतलब बहुत सारे कंप्यूटर्स या मोबाइल्स या ऐसे ही सिस्टमों से मिल कर बना हुआ एक जाल. वहीं वर्ल्ड वाइड वेब इंटरनेट से हाइपरटेक्स्ट डॉक्यूमेंट्स प्राप्त करने का सिस्टम है. इसे www या वेब भी कहा जाता है. पहली बार इसका प्रयोग टिम बर्नर्स ली ने 12 मार्च, 1989 को किया था. इस तकनीक को अब 30 साल हो गए हैं. क्या होता है इस सबका काम, समझते हैं.

कैसे काम करता है इंटरनेट?

जब आप इंटरनेट पर कोई वेबसाइट खोलते हैं या कुछ सर्च करते हैं तो आपके सिस्टम से वो सर्च रिक्वेस्ट आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के पास जाती है. यहां से वह रिक्वेस्ट सर्च किए गए वेबसाइट के सर्वर पर जाती है. वहां से आपके द्वारा सर्च की गई जानकारी इसी रास्ते से वापस आ जाती है.

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तस्वीर: picture-alliance/U.Baumgarten

तो फिर वेब का इसमें क्या इस्तेमाल?

पहले कुछ तकनीकी शब्द जान लेते हैं ताकि इसे आसानी से समझा जा सके. यूआरएल यानी यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर, इंटरनेट पर मौजूद हर रिसोर्स का एक पता होता है. इसे आजकल वेबसाइट या लिंक भी बोल दिया जाता है.

एचटीएमएल यानी हायपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज वेब की अपनी भाषा होती है. कंप्यूटर और उससे जुड़े हुए सिस्टम कभी भी हिंदी या अंग्रेजी जैसी किसी भाषा में काम नहीं करते. इनकी अपनी लैंग्वेज होती है जिसे मशीन लैंग्वेज भी कहा जाता है.

एचटीटीपी यानी हायपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रॉटोकोल, वो व्यवस्था है जिसके जरिए एचटीएमएल फाइल्स को इंटरनेट के द्वारा वेब ब्राउजर और सर्वर के बीच भेजा जाता है.

और सर्वर वो जगह होती है जहां पर इंटरनेट पर मौजूद फाइल्स स्टोर की जाती हैं.

हाइपरलिंक मतलब किसी वेब पेज पर लगा हुआ दूसरे वेबपेज का वेब एड्रेस, जिस पर क्लिक कर सीधा उस दूसरे पेज पर पहुंचा जा सकता है.

1989 में वेब के आने से पहले कोई वेबसाइट नहीं हुआ करती थी. इंटरनेट का इस्तेमाल किसी कंपनी में आपसी कम्यूनिकेशन के लिए किया जाता था. टिम बर्नर्स ली 1989 में स्विटजरलैंड की सर्न लैब में काम कर रहे थे. वहां पर उन्होंने देखा कि साथी वैज्ञानिक एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में इंटरनेट से डाटा ट्रांसफर नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में, उन्होंने एक नया सिस्टम तैयार करने की सोची.

एक ऐसा सिस्टम जो एचटीएमएल, एचटीटीपी और एचटीएमएल तीनों को समझ सके. उनके बॉस ने तब कहा था कि ये समझ से परे लग रहा है पर दिलचस्प लग रहा है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa/O. Berg

टिम ने एक वेब ब्राउजर और वेब सर्वर की मदद से शुरुआती वर्ल्ड वाइड वेब बनाया. इसमें हाइपरलिंक्स का इस्तेमाल था. इसका मतलब अब बस एक क्लिक में एक पेज से दूसरे पेज तक पहुंचा जा सकता था. साथ ही टेक्स्ट, फोटो और वीडियो का इंटरनेट पर इस्तेमाल भी बहुत ही सरल हो गया.

http://info.cern.ch/hypertext/WWW/TheProject.html दुनिया की पहली वेबसाइट है. इसे टिम ने ही बनाया और ये आज भी मौजूद है. मार्च 1991 में वेब पहली बार सर्न संस्था में टिम ने अपने साथियों को मुहैया करवाया. 1993 में इलिनोय यूनिवर्सिटी में इसका सर्वर लगाया गया.

साल 1994 में पूरी दुनिया के लिए वेब को खोल दिया गया. यह इंटरनेट की दुनिया में क्रांतिकारी साबित हुआ. टिम ने वेब को दुनिया के लिए फ्री ही रखा. इससे दुनियाभर में वेब तेजी से फैल गया.

आज भी वेबसाइट डिजाइनिंग में एचटीएमएल और जावा स्क्रिप्ट ही इस्तेमाल होती हैं. आज दुनियाभर में 200 करोड़ से ज्यादा वेबसाइट्स हैं. वेबसाइट के यूआरएल से पहले एचटीटीपी और WWW वेब के लिए ही इस्तेमाल होता है.

ऋषभ शर्मा

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