कैसा होता है 'मसाई ओलंपिक'
हर दो साल में आयोजित होने वाला यह खास ओलंपिक केवल मसाई समुदाय के लोगों के लिए होता है. पहले जहां जीतने के लिए शेर का शिकार करना होता था, वहां अब केवल खेलों की जगह है.
एक जगह जुटते हैं
2018 के मुकाबले के लिए मसाई समुदाय के मोरान एथलीट ट्रकों में सवार होकर अफ्रीका में माउंट किलिमंजारो की तलहटी पर स्थित एक सेंचुरी में इकट्ठे हुए. यह ओलंपिक 2012 से शुरू हुआ है.
भाला फेंक
एमबिरिकानी मान्याटा से आने वाला एक मसाई मोरान यहां अपना जेवलिन थ्रो का कौशल दिखाते हुए. केन्या और तंजानिया की सीमा पर स्थित सिदाई ओलेंग वन्यजीव सेंचुरी में हुई प्रतियोगिता.
ऊंची कूद
परंपरागत गीत संगीत के दौरान मसाई लोग ऊंची कूद लगाते हैं. यह देखा जाता है कि कौन सबसे ऊंचा कूद रहा है. मसाई समुदायों में ऊंची कूद को गर्व का विषय माना जाता है.
ओलंपिक में मेकअप भी
मसाई ओलंपिक की तैयारी का एक हिस्सा एथलीटों का मेकअप भी है. चेहरे पर लाल पेंट लगाया जाता है. अलग अलग मौकों के लिए खास मेकअप होता है. यहां मेकअप का मकसद विरोधियों को डराना है.
ओलंपिक की हलचल
माउंट किलिमंजारो अफ्रीका की सबसे ऊंची पहाड़ी चोटी है. केन्या और तंजानिया में फैले इस पहाड़ को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया है.
जीत का जश्न
जो मसाई मोरान विजेता चुना जाता है वो कुछ इस तरह अपनी जीत का जश्न मनाता है. महिलाएं गीत और डांस के जरिए खुशी का इजहार करती हैं. (क्रिस्पिन मवाकीडू/आरपी)