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कैटरीना कैफ़ः क़दम क़दम पर कामयाबी

सौजन्यः वेबदुनिया१६ जुलाई २००९

बॉलीवुड में कैटरीना को लाने का श्रेय कैज़ाद गुस्ताद को जाता है. वे जैकी श्रॉफ की पत्नी के लिए ‘बूम’ नामक फिल्म बना रहे थे और खूबसूरत कैटरीना उन्हें ठीक लगीं. 2003 में रिलीज़ हुई ‘बूम’ बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही.

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कैटरीना कैफ़ कामयाब रहींतस्वीर: Eros International

विदेश में पली बढ़ी कैटरीना का अभिनय भी खराब था. उन्हें हिंदी बिलकुल भी समझ में नहीं आती थी. कैटरीना का अनुभव बुरा रहा और बॉलीवुड के फिल्मकारों को भी कैटरीना में कोई ख़ासियत नज़र नहीं आई. उन्हें वेस्टर्न लुक वाली ऐसी अभिनेत्री बताया गया, जिसके हावभाव भी विदेशी लड़कियों जैसे थे.
इसी बीच सलमान ख़ान से कैटरीना की दोस्ती हुई. कैटरीना का अभिनय की ओर झुकाव नहीं था, लेकिन सलमान ने उन्हें प्रेरित किया. सलमान के प्रयासों से ही ‘मैंने प्यार क्यों किया' कैटरीना को मिली. रामगोपाल वर्मा की ‘सरकार' में भी उन्हें छोटा सा रोल मिला. 2005 में रिलीज़ हुई इन दोनों फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर अच्छी सफलता मिली और फिल्मकारों का ध्यान कैटरीना की तरफ गया.

16 जुलाई 1984 को कैटरीना का जन्म हांगकांग में हुआ. उनके पिता मोहम्मद कैफ़ कश्मीरी मुस्लिम हैं और मां सुज़ैन ब्रिटिश हैं. कैटरीना जब छोटी थीं, तब उनके माता पिता अलग हो गए. कैटरीना और उनकी छह बहनें अपनी मां के साथ रह गईं. अमेरिका के हवाई में कुछ दिन रहने के बाद कैटरीना इंग्लैंड चली गईं और 14 साल में उन्होंने मॉडलिंग शुरू की.

Film Yuvvraaj Foto: Vertrieb Eros International die indische Schauspielerin Katrina Kaif Anil Kapoor, Salman Khan (r), im Hintergrund Katrina Kaif
युवराज में कैटरीना के काम की तारीफ़तस्वीर: Eros International

कैटरीना को युवाओं और बच्चों में लोकप्रियता मिली और चढ़ते सूरज को बॉलीवुड में सलाम किया जाता है. कैटरीना को सीमित क्षमताओं के बावजूद कुछ फिल्में मिलीं. ‘नमस्ते लंदन' (2007) ने कैटरीना के करियर में निर्णायक भूमिका निभाई और इसकी सफलता का खासा लाभ उन्हें मिला.

सके बाद तो कैटरीना ने अपने (2007), पार्टनर (2007), वेलकम (2007), रेस (2008) और सिंह इज़ किंग (2008) जैसी सफल फिल्मों की झड़ी लगाकर बॉलीवुड की अन्य नायिकाओं की नींद उड़ा दी. इन फिल्मों के ज़रिए उन्हें डेविड धवन, अनिल शर्मा, अब्बास मस्तान और अनीस बज़्मी जैसे निर्देशकों के साथ काम करने का अवसर मिला, जिन्हें कमर्शियल फिल्म बनाने में महारथ हासिल है. कैटरीना को लकी एक्ट्रेस कहा जाने लगा और फिल्मों में उनकी मौजूदगी सफलता की गारंटी मानी जाने लगी. कैटरीना को बॉक्स ऑफिस की क्वीन कहा जाने लगा और आज उनके नाम पर भीड़ जुटती है.
कैटरीना को सफलता सिर्फ भाग्य के बल पर ही नहीं मिली. उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की. अपनी अभिनय क्षमता को निखारा और फिल्म दर फिल्म उनका अभिनय बेहतर होता गया. सेट पर कोई नखरे नहीं दिखाए और जैसा निर्देशक ने बताया वैसा किया. कैटरीना इस बात से भी अच्छी तरह परिचित हैं कि उन्हें हिंदी फिल्मों में काम करना है तो इस भाषा को सीखना होगा वरना वह चेहरे पर भाव कैसे ला पाएंगी. उन्होंने हिंदी सीखी और अब वे हिंदी अच्छी तरह समझ लेती हैं. बोलने में उन्हें थोड़ी तकलीफ होती है और उनका लहजा विदेशी लगता है. लेकिन जल्दी ही वे अपनी इस कमजोरी पर भी काबू पा लेंगी.

अब कैटरीना में आत्मविश्वास आ गया है और वे सशक्त भूमिकाएं भी निभा रही हैं. निर्देशक भी अब कठिन भूमिकाओं के लिए कैटरीना पर भरोसा करने लगे हैं. आज वे प्रकाश झा जैसे निर्देशक की फिल्म (राजनीति) कर रही हैं, जिसकी कल्पना दो साल पहले की भी नहीं जा सकती थी.