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केर्न को भारत सरकार की संपत्ति जब्त करने की इजाजत

८ जुलाई २०२१

केर्न ऊर्जा कंपनी ने कहा है कि उसे एक फ्रांसीसी अदालत से पेरिस में भारत सरकार की संपत्ति जब्त करने की अनुमति मिल गई है. केर्न और भारत सरकार के बीच करोड़ों का टैक्स विवाद चल रहा है और कंपनी हर्जाना वसूलना चाह रही है.

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Indien Sekretariat North Block, Büros für Regierungsminister New Delhi
तस्वीर: picture-alliance/C. Wojtkowski

लंदन में शेयर बाजार में सूचीबद्ध केर्न में एक बयान में बताया कि फ्रांस के एक ट्रिब्यूनल ने इस मामले में पेरिस में स्थित भारत सरकार की करीब 20 संपत्तियों को फ्रीज करने का आदेश दिया है. इन संपत्तियों का कुल मूल्य दो करोड़ यूरो से भी ज्यादा है. कंपनी का कहना है, "ये इन संपत्तियों का मालिकाना हक लेने की तैयारी में एक आवश्यक कदम है. यह कदम यह भी सुनिश्चित करता है कि अगर इन संपत्तियों को बेचा जाता है तो उससे होने वाली कमाई केर्न को ही मिलेगी." कंपनी ने यह भी बताया कि उसने भारत सरकार के खिलाफ इस तरह के और मामले अमेरिका, ब्रिटेन, नेदरलैंड्स, सिंगापुर और  क्यूबेक में भी दर्ज कराए हुए हैं.

भारत सरकार ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसे इस मामले पर किसी भी फ्रांसीसी अदालत से कोई भी सन्देश नहीं मिला है और जब मिलेगा तब वो "उचित कानूनी कदम" उठाएगी. भारत में तेल और गैस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी केर्न को दिसंबर में द हेग स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने इस मामले में 1.2 अरब डॉलर से भी ज्यादा के हर्जाने का हकदार घोषित किया था. ये कंपनी और भारत सरकार के बीच बीती तारीख से लगाए गए कुछ टैक्स दावों पर चली एक लंबी लड़ाई का नतीजा था. कंपनी का कहना है कि अब सरकार का उस पर कुल 1.7 अरब डॉलर बकाया है.

समझौते की संभावना

द हेग अदालत के आदेश के खिलाफ भारत ने अपील दायर की है, लेकिन इस बीच केर्न ने इस राशि को हासिल करने के लिए विदेशों में भारत सरकार की कई संपत्तियों को जब्त करने की अनुमति मांगी है. इनमें एयर इंडिया की संपत्ति भी शामिल है. कंपनी का कहना है कि अगर सरकार समझौता नहीं करती है तो वो इन संपत्तियों को जब्त कर सकती है. लेकिन कंपनी ने यह भी कहा है, "हम अभी भी चाहते यह हैं कि हमारा भारत सरकार के साथ एक मैत्रीपूर्ण समझौता हो जाए और इस मामले को खत्म किया जाए." भारत सरकार ने अपने ताजा बयान में कहा है कि वो "अपने केस को जोरों के साथ लड़ेगी." 

यह विवाद 2012 में शुरू हुआ था जब तत्कालीन यूपीए सरकार ने कुछ कंपनियों पर बीती तारीख से पूंजीगत लाभ टैक्स लगाने का फैसला किया था. इनमें केर्न के अलावा टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन भी शामिल थी. वोडाफोन भी आर्बिट्रेशन कोर्ट में मामले को ले गई थी और जीत गई थी. इन मामलों से विदेशी निवेशक डर गए थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार को भी धक्का लगा था. उनके बाद सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कहा है कि वो भविष्य में बीती तारीख से टैक्स नहीं लगाएगी, लेकिन मौजूदा मामलों में लड़ रही है.

रॉयटर्स (सीके/एए)

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