केरल में बाढ़ से तबाही
दक्षिणी प्रांत केरल में बाढ़ के चलते अब तक 400 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और दस लाख से भी ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. हजारों की संख्या में सेना के जवानों को वहां मदद के लिए भेजा गया है.
मदद के हाथ
केरल के कई गावों में अब भी लोग फंसे हुए हैं. कई जगहों पर पानी पांच फीट तक भरा हुआ है और लोग एक दूसरे की मदद में लगे हैं. अब तक 5,645 राहत शिविर लगाए जा चुके हैं, जिनमें करीब दस लाख लोग रह रहे हैं.
चारों ओर पानी
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सड़कों की हालत देख कर ऐसे लगता है जैसे किसी विशाल समुद्र के बीच घर और गाड़ियां अटक गए हों. लोगों को सुरक्षित जगहों तक पहुंचाने के अलावा पीने का साफ पानी चिंता का सबसे बड़ा विषय है.
खोले गए बांध
जोखिम को ध्यान में रखते हुए इदामाल्यार, चेरुथोनी और मुल्लापेरियार समेत कई बांधों और 80 जलाशयों को खोला गया है. बाढ़ में इन बांधों की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
जोखिम भरा
राहतकार्य के लिए सेना जितना हो सके लोगों को एयरलिफ्ट कर रही है. हेलीकॉप्टर की ही मदद से लोगों तक खाने का सामान भी पहुंचाया जा रहा है.
भूस्खलन भी
भारी बारिश के बाद कई इलाकों में भूस्खलन भी हुआ है. कई सड़कों और पुलों को भी नुकसान हुआ. रेल और हवाई यातायात ठप पड़ा है. भूस्खलन लोगों की मौत का बड़ा कारण रहा है.
भारी बरसात
2018 में मॉनसून की शुरुआत के बाद केरल में औसत से 37 फीसदी ज्यादा बरसात हुई. इसके चलते नदियों का जलस्तर बढ़ा और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई. हालांकि हर साल मॉनसून की शुरुआत यहीं से होती है लेकिन इस बार अनुमान से ज्यादा बारिश हुई.
जैसे तैसे
एक हफ्ते तक लगातार चली बरसात के रुकने के बाद राहतकार्य आसान हुआ है. लोग जैसे मुमकिन हो, मदद कर रहे हैं. पानी का स्तर जैसे जैसे कम हो रहा है, लाशों की संख्या वैसे वैसे बढ़ रही है. अब तक जो लोग गुमशुदा थे, अब उन्हें मृत घोषित किया जा रहा है.