1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

..के दिल अभी भरा नहीं: सचिन

३ जून २०११

बल्लेबाजी के सारे रिकॉर्ड अपनी झोली में लेकर घूमने वाले सचिन तेंदुलकर का कहना है कि 22 साल बाद भी वह क्रिकेट से संतुष्ट नहीं हैं और जिस दिन वह संतुष्ट हो जाएंगे उस दिन से उनका खेल नीचे की ओर ढलकने लगेगा.

https://p.dw.com/p/11TQC
तस्वीर: UNI

सचिन का कहना है, "जब आप कुछ जीतते हैं या शतक लगाते हैं तो आप कहते हैं कि आप खुश हैं, लेकिन संतुष्ट नहीं हैं. संतुष्टि तो ऐसी चीज है, जो किसी चलती हुई कार में ब्रेक लगाने से होती है."

उनका कहना है, "मैं अभी भी अपने करियर से संतुष्ट नहीं हूं. बिलकुल भी नहीं. मुझे लगता है कि जिस सयम आप संतुष्ट होने लगते हैं, तो यह बहुत ही स्वभाविक है कि आप ढीले पड़ जाते हैं." स्काई मैगजीन को दिए इंटरव्यू में सचिन ने कहा कि 22 साल क्रिकेट खेलने के बावजूद वह तो रिटायरमेंट के बारे में सोच भी नहीं रहे हैं.

38 साल के सलामी बल्लेबाज कहते हैं, "मैं हमेशा की तरह अभी भी क्रिकेट से बहुत प्यार करता हूं. यह मेरा पेशा भी है लेकिन मेरा जुनून भी है. क्रिकेट मेरे दिल में बसा है, मुझे कुछ और नहीं चाहिए. मैं जब बहुत छोटा था तो अपने देश के लिए खेलने के सपने देखता था. यह सपना अभी भी बना हुआ है. यह अभी भी मेरे लिए बहुत बड़ी बात है. मेरे लिए क्रिकेट के बगैर जीवन की कल्पना करना संभव नहीं है."

सख्त अनुशासन

सचिन ने कहा कि उन्होंने सख्त अनुशासन बरता है, जिसकी वजह से वह अभी भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल पा रहे हैं. उनके मुताबिक ट्वेन्टी 20 से अलग रहना और सिर्फ खास मौकों पर गेंदबाजी करना भी उनकी योजना के तहत ही है. तेंदुलकर का कहना है, "मैं अभी भी क्रिकेट सीख रहा हूं. मैं अभी भी बल्लेबाजी में कुछ नया करना चाहता हूं. आपको अपना दिमाग खुला रखना चाहिए. मैं हमेशा छोटी छोटी बातें सीखने की कोशिश करता हूं कि पैर कहां जमाना चाहिए और बल्ले को थोड़ा सा स्विंग कर देने से शॉट कैसे बेहतर हो सकता है. ऐसा करने में मुझे बहुत मजा आता है. आप कभी भी सब कुछ नहीं सीख सकते हैं. इससे आपको मानसिक तौर पर बहुत खुशी होती है. आप तैयारी करते रहते हैं."

Sachin Tendulkar Flash-Galerie
तस्वीर: AP

नहीं देखा विजयी शॉट

भारत के 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीतने के लम्हे को याद करते हुए सचिन का कहना है कि वह बीच मैदान में नहीं थे और न ही बालकोनी से मैच देख रहे थे. वह ड्रेसिंग रूम में थे. हाथों को बांध कर और आंखें बंद कर प्रार्थना कर रहे थे. उन्हें तो जीत के बारे में तब पता चला, जब उनकी टीम ने कप्तान धोनी के विजयी छक्के के बाद जम कर शोर मचाना शुरू कर दिया.

तेंदुलकर ने कहा, "यह बिलकुल अलग किस्म का अहसास रहा. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं किसी और ग्रह पर हूं. कि जैसे मैं उड़ रहा हूं." उन्होंने इस जीत के लिए 22 साल का इंतजार किया.

तेंदुलकर ने निजी तौर पर पता नहीं कितने रिकॉर्ड अपने नाम कर रखे हैं. टेस्ट और वनडे दोनों में उनके नाम सबसे ज्यादा शतक और सबसे ज्यादा रन हैं. लेकिन भारत की तरफ से उन्हें कोई तमगा नहीं मिला था. वर्ल्ड कप जीतने के बाद उनकी हसरत पूरी हो गई. उन्होंने इससे पहले भी पांच बार वर्ल्ड कप में खेला लेकिन भारत को कभी जीत नसीब नहीं हुई. इससे उन्हें बेहद अफसोस होता था.

तेंदुलकर के साथी खिलाड़ी भी उनके मनोबल की दाद देते हैं. सचिन का कहना है कि वह अपने शरीर को तो उम्रदराज होने से नहीं रोक सकते लेकिन अपनी ट्रेनिंग में बदलाव करके खुद को ज्यादा से ज्यादा वक्त तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए तैयार कर सकते हैं.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें