कुदरत को समझते आदिवासी
कुदरत की सबसे ज्यादा अहमियत समझने वाले आदिवासी दुनिया भर में अनूठे तरीकों से इसकी रक्षा कर रहे हैं.
पालतू बंदर
ब्राजील की आवा जनजाति की महिलाएं बंदरों के अनाथ हो गए बच्चों का खयाल रखती हैं. इन दिनों उनके जंगलों में गैरकानूनी ढंग से पेड़ों की कटाई हो रही है. यहां तक कि जमीन की बढ़ती चोरी और हमलों के बीच उनका खुद का अस्तित्व खतरे में आ गया है.
आत्मनिर्भर समुदाय
अर्जेंटीना की विची जनजाति के लोग नदी की सतह पर होने वाली मामूली हलचल के आधार पर मछली का शिकार करते हैं. आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था सरवाइवल इंटरनेशनल का मानना है कि आदिवासियों ने समय के साथ अपना हुनर भी बढ़ाया है.
पारदर्शी जुगाड़
आदिवासी जातियों को प्रकृति के संकेतों का पता होता है. अंडमान में रहने वाले मोकेन आदिवासियों की नजर आम लोगों की नजर से काफी तेज होती है. समुद्र तल में बैठी मछलियों और जीवों को खाने के लिए ढूंढ निकालने की उनमें अलग ही क्षमता है.
प्रकृति के इशारे
प्रमोकेन समुदाय का इतिहास समुद्र, वायु और चन्द्रमा के चक्र की जानकारियों से भरा है. उन्हें समुद्र की खतरनाक लहरों के बारे में पता चल जाता है. 2004 में सुनामी से पहले ही मोकेन के बड़े बूढ़ों ने इस खतरे से आगाह कर दिया था और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले गए थे.
जंगलों में जीवन
जंगलों में रहना मुश्किल तो है लेकिन इन्हें शिकार करने की जुगत पता है. बोर्नियो के वर्षा वनों में रहने वाले आदिवासी जंगली सुअर के शिकार के लिए इस तरह के पाइप का इस्तेमाल कर खास पेड़ों से निकला जहर फूंकते हैं, जिससे जानवरों के दिल की धड़कन रुक जाती है.
अनूठा संचार
1960 तक बोर्नियो के आदिवासी जंगलों में खानाबदोश जीवन जीते थे. वे पत्तियों और पेड़ों की डंठलों का इस्तेमाल कर एक जटिल सिग्नल सिस्टम के जरिए एक दूसरे को संदेश भेजा करते थे. उनकी भाषा में इसे ऊरू कहते हैं. खेती और पनबिजली बनाने के लिए जंगल काट दिए गए हैं.
देसी इलाज
समय के साथ आदिवासियों ने अपने इलाज के देसी तरीके और दवाइयां भी खोज निकाली हैं. पेड़ की छाल से आंखों का इलाज और खुशबूदार पत्तियों से जुकाम का इलाज. पश्चिमी चिकित्सा की कई औषधियों में इस्तेमाल होने वाले तत्वों की खोज आदिवासियों ने ही की है.
पक्का हुनर
तंजानिया के हजदा आदिवासी समुदाय के हथियार उनके माहौल और जरूरतों के अनुकूल बनाए गए हैं. अपने धनुष का तार वे पशुओं के ऊतकों से और बाण लकड़ी से बनाते हैं. बाण की नोक को वे झाड़ियों से निकाले गए जहरीले अर्क में डुबोते हैं.
जानवरों से दोस्ती
कुछ पशु पक्षियों से हजदा जाति के लोगों ने दोस्ती भी कर ली है. ये चिड़ियां पेड़ों पर फुदक फुदक कर उन्हें मधुमक्खियों के छत्ते का पता बताती हैं. मधुमक्खियों को धुएं से भगाकर शहद निकाला जाता है. इन चिड़ियों को इनाम में बचा हुआ शहद मिलता है.
खूब नकलची
आदिवासियों को अपने आसपास के पशुओं की आदतों और आवाजों का भी खूब अंदाजा होता है. जानवरों को झाड़ियों से बाहर बुलाने के लिए वे अक्सर इसी हुनर का इस्तेमाल करते हैं. साइबेरिया के शिकारी बारहसिंघे के बच्चे की ऐसी आवाज निकालते हैं कि जैसे वह अपनी मां को पुकार रहा हो.
पोषक शिकार
साइबेरिया के आदिवासियों के बीच बारहसिंघा सबसे पसंदीदा शिकार है. वे इसे कच्चा, उबालकर या ठंडा करके भी खाते हैं. खून को भी अलग नहीं करते जिसमें अच्छी मात्रा में विटामिन होता है. बारहसिंघे के दूध में भैंस के दूध के मुकाबसे 6 गुना ज्यादा वसा होती है.
भविष्य पर नजर
आवा आदिवासी इस बात का भी खयाल रखते हैं कि वे संसाधनों का जरूरत भर ही इस्तेमाल करें.