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समाजभारत

किसानों की छह मुद्दों पर वार्ता की मांग

आमिर अंसारी
२२ नवम्बर २०२१

तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है. संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर छह मुद्दों पर वार्ता की मांग की है.

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Indien | Agrarreform - Protest der Landwirte
तस्वीर: Naveen Sharma/SOPA Images via ZUMA Wire/picture alliance

किसान आंदोलन का एक साल 26 नवंबर को पूरा हो रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के पिछले हफ्ते ऐलान के बाद सोमवार को लखनऊ में किसान पंचायत का आयोजन हो रहा है.

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को एक बैठक की. इस बैठक में फैसला लिया गया कि उनका किसान आंदोलन फिलहाल जारी रहेगा. किसान नेताओं का कहना है कि अभी तक फसल के पूरे दाम मिलने (एमएसपी गारंटी बिल) की मांग नहीं मानी गई है.

एसकेएम ने लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए केंद्रीय कानून समेत किसान आंदोलन की लंबित मांगों को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र भेजा है. किसान नेताओं ने अपने पहले घोषित कार्यक्रमों को जारी रखने का भी निर्णय लिया है. सोमवार को योजना के मुताबिक लखनऊ में एक रैली के बाद एसकेएम की अगली बैठक 27 नवंबर को घटनाक्रम की समीक्षा करने के लिए होगी और 'संसद चलो' मार्च 29 नवंबर को होगा.

सिंधु बॉर्डर पर किसान आंदोलन मुख्यालय में अपनी पहली बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा शुक्रवार को अपनी सरकार के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय की घोषणा के बाद एसकेएम ने देश के सभी किसानों और श्रमिकों को अभूतपूर्व एक वर्ष के लंबे संघर्ष के बाद उनकी ऐतिहासिक जीत के लिए हार्दिक बधाई दी.

एसकेएम के एक बयान में कहा गया है, "हम आंदोलन के सभी नागरिकों से अपील करते हैं कि वे सभी दिल्ली के कार्यक्रमों में भाग लें और राज्यों में राज्य स्तर पर किसान-श्रमिक विरोध प्रदर्शन करें."

बयान में कहा गया नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार किसान आंदोलन के लगभग 700 बहादुर किसानों द्वारा किए गए भारी और परिहार्य बलिदान को स्वीकार नहीं करती है.

साथ ही किसानों ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग की गई है. अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों को जीप से कुचलने का आरोप है.  मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा लखीमपुर खीरी हत्याकांड का मुख्य आरोपी है. हिंसा में चार किसान समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.

आखिर क्यों वापस लिए गए कृषि कानून