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किसानों का आंदोलन जारी, चार की मौत

१६ अगस्त २०१०

अलीगढ़ और मथुरा के किसानों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है. ये किसान यमुना एक्सप्रेस वे में गई अपनी जमीन का नोएडा के बराबर मुआवजा चाहते हैं. पुलिस के साथ झड़पों में कई मौतें. संसद की कार्यवाही भी ठप्प हुई.

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कई जगह पुलिस से झड़पतस्वीर: AP

मुआवजे को लेकर तीन दिन से किसानों का आंदोलन जारी है. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार उनकी मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन सोमवार को इस मुद्दे पर संसद में हंगामे के बाद यह मामला और गंभीर हो गया है.

करीब 18 गांवों के बीस हज़ार से ज्यादा किसान मथुरा से अलीगढ तक बन रहे एक्सप्रेस वे पर पिछले तीन दिन से जमे हुए हैं. पुलिस के साथ हुई झड़प में अब तक पीएसी के एक सूबेदार और तीन किसानों की मौत हो चुकी है. किसानों ने सैकड़ों सरकारी वाहनों में आग लगाकर उन्हें बर्बाद कर दिया और यमुना एक्सप्रेस वे बनाने वाली कंपनी जेपी ग्रुप के सभी साइट आफिसों को तहस नहस कर डाला है. इनके नेता राम बाबू कतेलिया की गिरफ़्तारी से भी किसान ज्यादा भड़के हुए हैं. मुआवज़े की मांग पर पिछले दो हफ़्तों से किसान अलीगढ में धरना दे रहे थे.

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री ने रविवार रात अलीगढ और मथुरा के पुलिस कप्तानों को हटा दिया और अलीगढ के कमिश्नर के नेतृत्व में किसानों की मांगो पर विचार करने के लिए समिति बना दी. साथ ही पुलिस फायरिंग में मारे गए किसानों के परिजनों को पांच पांच लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा कर दी. मायावती के कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह ने स्वतंत्रता दिवस की रात बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में ये घोषणाएं की.

लखनऊ में मुख्यमंत्री के सचिव नेतराम के साथ 5-6 जुलाई को इन किसानों के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी. तब सरकार ने दावा किया था कि मुआवज़े का मामला सुलझ गया है. सरकार की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि किसान अपना धरना खत्म कर देंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हिंसा शुरू हो गई.

उधर इस मामले पर सोमवार को पूरे राज्य में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल ने प्रदर्शन किया. बीजेपी और कांग्रेस ने भी इस मामले की निंदा की है. कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी रविवार रात ही अलीगढ के गांव टप्पल पहुंच कर किसानों से मिल आई थीं. आरएलडी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी तो अलीगढ में ही डेरा जमाए हैं. अजित सिंह टप्पल पहुंच रहे है. सुबह से भी इस इलाके में हिंसा की ख़बरें आ रही हैं. हालांकि पुलिस ने सारा इलाका सील कर रखा है पत्रकारों को भी नहीं जाने दिया जा रहा है.

इस बीच बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह, आरएलडी अध्यक्ष अजित सिंह और एसपी नेता शिवपाल सिंह यादव भी टप्पल पहुंचे और किसान नेताओं से बात कर उनका समर्थन किया. इन नेताओं ने कहा कि किसानों के साथ ज्यादती की गई है.

उधर दिल्ली मे बीएसपी के महासचिव संसद सतीश चन्द्र मिश्र ने कहा के कोई किसान पुलिस की गोली से नहीं मारा गया. विपक्षी दल गलत बयानी कर रहे हैं. उन्होंने संसद में एसपी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव द्वारा यह मामला उठाने को हास्यास्पद बताया और कहा कि उन्होंने अपने शासन कल में नोएडा की जमीन सस्ते दामों पर अंबानी ग्रुप के लिए अधिग्रहित की थी.

इस बीच कांग्रेस ने अलीगढ में 23 अगस्त को किसान महारैली करने की घोषणा की है. इसमें कई केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे. मंगलवार को प्रदेश भर में कांग्रेस ने भी विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है. बीजेपी ने किसानों पर फायरिंग की न्यायिक जांच को फिजूल बताया और कहा कि सीबीआई जांच होनी चाहिए. शासन ने अलीगढ के कमिश्नर और जिलाधिकारी को भी हटा दिया है. के रविन्द्र नायक नए जिलाधिकारी बनाए गए हैं. राजीव अग्रवाल नए कमिश्नर होंगे.

नोएडा से आगरा तक छह लेन वाले यमुना एक्सप्रेस वे के लिए किसानो को 4.50 लाख रूपये प्रति बीघा मुआवजा दिया गया है जबकि नॉएडा के किसानों को 9 लाख रूपये बीघा मुआवजा दिया गया है. इसी कारण किसान आंदोलन कर रहे हैं.

रिपोर्टः सुहेल वहीद, लखनऊ

संपादनः ए कुमार