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26 मई को निकलेगी किसानों की एक और रैली

चारु कार्तिकेय
२४ मई २०२१

कोविड-19 की घातक लहर के बीच नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने एक बार फिर महा रैली निकालने की घोषणा की है. जून 2020 में पंजाब से शुरू हुए इस आंदोलन को अगले महीने एक साल पूरा हो जाएगा.

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West Bengal Landwirte Farmer Protest BJP
तस्वीर: Indranil Aditya/NurPhoto/picture alliance

देश में फैली कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच किसान कुछ महीनों से ठंडे पड़े अपने आंदोलन को एक बार फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. 26 मई को इन किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले छह महीने पूरे हो जाएंगे और वो इस मौके का इस्तेमाल एक बार फिर आंदोलन में जान फूंकने के लिए करना चाह रहे हैं. किसानों ने 26 मई को काला दिवस के रूप में मनाने की योजना बनाई है और इसके लिए कई राज्यों से भारी संख्या में किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर जमा होने की अपील की है.

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों से कई किसानों के दिल्ली की तरफ चल देने की खबरें आ रही हैं. किसानों की कोशिश है कि एक बार फिर आंदोलन की तरफ केंद्र सरकार का ध्यान वापस लिया जाए. किसान सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध तो जून 2020 से ही कर रहे हैं, जब ये कानून अध्यादेश के रूप में पास हुए थे. 26 नवंबर 2020 को किसान संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली की ओर निकल गए थे, लेकिन दिल्ली में घुसने से ठीक पहले पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर ही प्रदर्शन शुरू कर दिया.

महामारी के बीच आंदोलन

उसके बाद सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई लेकिन पूरी प्रक्रिया बेनतीजा रही. सरकार का आखिरी प्रस्ताव तीनों कानूनों को छह महीनों के लिए रोक देने का था लेकिन किसानों की मांग थी कि कानूनों को पूरी तरह से निरस्त ही किया जाए. इसके बाद सरकार ने बातचीत बंद कर दी. किसान अब चाह रहे हैं कि सरकार बातचीत फिर से शुरू करे. लेकिन इस बार किसानों के जमावड़े को लेकर ऐसी चिंताएं भी व्यक्त की जा रही हैं कि इस का देश में फैली हुई महामारी की घातक लहर पर क्या असर पड़ेगा.

बीते महीनों में महामारी की पिछली लहर में जब यह आंदोलन चल रहा था, तब स्थिति इतनी भयावह नहीं थी जितनी इस बार है. इस लहर में संक्रमण के नए मामलों ने और संक्रमण से मरने वालों की संख्या ने रिकॉर्ड स्तर हासिल किए. दिल्ली समेत कई शहरों में इतनी भयावह स्थिति सामने आई कि अस्पतालों और स्वास्थ्य-कर्मियों पर भारी दबाव पड़ गया. अस्पतालों में बिस्तरों, दवाओं और यहां तक कि ऑक्सीजन की भी कमी हो गई.

Indien Delhi | Tikri Border Station | Bauernproteste
किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर डंटे छह महीने पूरे होने वाले हैं.तस्वीर: Aamir Ansari/DW

दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक समेत कई स्थानों पर अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से ही कई लोगों की जान चली गई. मरने वालों की संख्या इतनी बढ़ गई कि श्मशानों के बाहर भी घंटों लंबी कतारें लग रही थीं. इस लहर में ग्रामीण इलाकों से भी संक्रमण के अभूतपूर्व प्रसार की खबरें आ रही हैं. कई लोगों का कहना है कि इन हालात में किसानों को बड़ा जमावड़ा कहीं सुपर-स्प्रेडर (संक्रमण को कई गुना फैलाने वाला आयोजन) ना बन जाए.

किसानों के भी एक धड़े में इसे लेकर चिंता है. पिछले दिनों सिंघु बॉर्डर पर कम से कम दो किसानों की कोविड-19 हो जाने के बाद मौत भी हो गई. लेकिन इसके बावजूद कई किसान निराश नहीं हुए हैं और 26 मई के कार्यक्रम को सफल बनाने दिल्ली की तरफ चल पड़े हैं. देखना होगा कि अब प्रशासन का किसानों के आंदोलन के प्रति क्या रवैया रहता है.

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