किराए के घरों में रहते हैं जर्मन लोग
जर्मनी में हर साल लगभग 80 लाख लोग घर बदलते हैं. अगर आप भी कभी जर्मनी में रहने आएं, तो देखिए घर लेते समय किन किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
किराए का घर पसंद
2018 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जर्मनी में 42 फीसदी लोगों के पास अपना खुद का घर है, जबकि 58 फीसदी किराए के घरों में रहते हैं. पूरे यूरोपीय संघ में जर्मनी में अपने घर में रहने वाले सबसे कम हैं. इसमें सबसे आगे है रोमानिया, जहां 96 फीसदी लोगों के पास अपना खुद का घर है.
किराए से इतना लगाव क्यों?
इसका जवाब इतिहास में छिपा है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी दो हिस्सों में बंटा. साम्यवादी पूर्वी हिस्से में लोगों के पास मकान खरीदने का हक नहीं था. वहीं पश्चिमी हिस्से में पुनर्निर्माण किया गया और सोशल हाउसिंग के तहत लोगों को किराए पर मकान दिए गए. आज भी किराए के घर में रहने का चलन बरकरार है.
कितना किराया दें?
किसी भी इलाके में घर लेने से पहले लोग "मीटश्पीगल" चेक करते हैं. इस शब्द का शब्दशः अनुवाद होगा, "किराए का आइना" और मतलब है एक ऐसा ग्राफ जो दिखाता है कि किसी भी इलाके में मकान के दाम क्या चल रहे हैं. सबसे ज्यादा किराया म्यूनिख के लोग चुकाते हैं. एक वर्ग मीटर के लिए लगभग 18 यूरो यानी करीब डेढ़ हजार रुपये.
कैसा घर चाहेंगे?
"मुझे किराए का मकान चाहिए" - इतना कह देना काफी नहीं है. आपके सामने एक पूरी लिस्ट होगी. स्टैंड-अलोन घर चाहिए, या रो-हाउस या फिर किसी के साथ मकान शेयर करना चाहेंगे. और कुछ भी तय करें, याद रखें कि मकान मिलने में कई महीने लग जाएंगे.
प्रतिस्पर्धा की कोई सीमा नहीं
एक ही मकान के लिए इतने लोग आवेदन देते हैं कि मकान मालिक कई बार आपका इंटरव्यू कर डालता है. कई बार तो लगता है जैसे आप किसी टैलेंट हंट में हिस्सा ले रहे हैं. आपके शौक, आपकी आदतों के बारे में खूब सवाल होते हैं.
किराया - गर्म या ठंडा?
अजीब सवाल है ना! लेकिन जर्मनी में आम है. ठंडा मतलब सिर्फ जगह का किराया और गर्म मतलब बिजली, पानी और हीटिंग को मिला कर. क्योंकि जर्मनी में छह महीने सर्दी रहती है, इसलिए हर घर में सेंट्रल हीटिंग उपलब्ध होती है और इसका अच्छा खासा खर्च आता है.
सिक्यूरिटी डिपॉजिट
मकान मालिक आपसे तीन महीने के किराए के बराबर सिक्यूरिटी डिपॉजिट मांग सकता है. मकान छोड़ने के बाद अगर मरम्मत की जरूरत पड़े, तो वह इसमें से काट लेता है और फिर कुछ छह महीने के इंतजार के बाद आपको बाकी की राशि वापस मिल जाती है. वैसे कुछ मकान मालिक अच्छे भी होते हैं.
रसोई का मसला
आपने कभी सुना है कि पड़ोस में कोई शिफ्ट हुआ और अपनी रसोई साथ ले कर आया. जर्मनी में ऐसा ही होता है. मकान के साथ रसोई नहीं मिलती. उसे खुद फिट करना पड़ता है. और अधिकतर जर्मन फिटिंग और मरम्मत का काम भी खुद ही करते हैं. उन्हें किसी मिस्त्री की जरूरत नहीं पड़ती.
जुगाड़ नहीं चलेगा
शिफ्ट होने से पहले आपको नगर पालिका को सूचित करना होगा कि आपको घर के बाहर कितने घंटों के लिए ट्रक खड़ा करने की जरूरत पड़ेगी. आप यूं ही ट्रक को सड़क पर खड़ा नहीं कर सकते और ना ही हाथ से लिखा बोर्ड लगा सकते हैं. वैसे, आम तौर पर ट्रक भी खुद ही चलाना पड़ता है.
मिठाई नहीं नमक
चलिए, घर मिल गया, रसोई भी आ गई, फिट भी हो गई, ट्रक भी लौटा दिया. अब पार्टी करने का समय है. आखिरकार जिन लोगों ने ये सब करने में मदद की उनका शुक्रिया भी तो अदा करना है. और पार्टी में लोग आपके लिए ब्रेड और नमक लाएंगे. गृह प्रवेश के दौरान इसे शुभ माना जाता है. मतलब है कि आपके घर में कभी रोटी और नमक की कमी ना पड़े. (क्रिस्टीना बुराक/आईबी)
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