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किम जोन्ग इल से मिले बिल क्लिंटन

४ अगस्त २००९

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन अचानक उत्तर कोरिया के दौरे पर पहुंचे, जहां उनकी मुलाक़ात उत्तर कोरियाई नेता किम जॉन्ग इल से हुई है. क्लिंटन के इस दौरे का मक़सद दो अमेरिकी पत्रकारों की रिहाई बताया जा रहा है.

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किंग जॉन्ग इल से हुई मुलाक़ाततस्वीर: AP / DW Montage

व्हाइट हाउस ने इस दौरे को क्लिंटन का निजी दौरा बताया है, जिसका मक़सद उत्तर कोरिया में क़ैद दो अमेरिकी पत्रकारों की रिहाई के लिए कोशिश करना है. हालांकि कई जानकार यह भी मान रहे हैं कि यह अलग थलग पड़े उत्तर कोरिया को बातचीत की मेज़ तक लाने की पहल हो सकती है. क्लिंटन ऐसे वक़्त में उत्तर कोरिया गए हैं, जब महीनों से वह भड़काऊ बयान देता रहा है. उत्तर कोरिया ने पहले परमाणु परीक्षण किया और उसके बाद कई मिसाइल परीक्षण किए. यही नहीं, अपने विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम पर भी वह छह पक्षीय बातचीत से पीछे हट गया है.

उत्तर कोरिया की केसीएनए समाचार एजेंसी ने ख़बर दी है कि प्योंगयांग पहुंचने पर क्लिंटन का अभिवादन करने वालों में उत्तर कोरिया के मुख्य परमाणु वार्ताकार किम क्वे ग्वान भी शामिल थे. बाद में क्लिंटन ने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग ईल से मुलाक़ात की और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का मौखिक संदेश दिया. रेडियो प्योंगयांग के मुताबिक़ किम ने क्लिंटन के लिए सरकारी गेस्ट हाउस में दावत भी दी. इस दौरान हुई बातचीत में दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान हुआ. हालांकि व्हाइट हाउस ने इस बात का खंडन किया है कि क्लिंटन ओबामा का कोई संदेश लेकर गए हैं.

जिन दो अमेरिकी पत्रकारों की रिहाई को क्लिंटन की यात्रा का मुख़्य मक़सद बताया जा रहा है उन्हें इस साल मार्च में उस वक़्त गिरफ्तार कर लिया गया जब वे चीन और उत्तर कोरिया की सीमा पर डॉक्यूमेंट्री शूट कर रही थीं. उन पर देश में ग़ैर क़ानूनी रूप से घुसने का आरोप लगा. उत्तर कोरिया की अदालत ने ऊना ली और लौरा लिंग को पिछले महीने ही 12-12 साल की सश्रम सज़ा सुनाई. कहा गया कि उत्तर कोरिया इन पत्रकारों को अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है.

जिस तरह प्योंगयांग में क्लिंटन का स्वागत हुआ है, उसके मुताबिक़ अमेरिकी पत्रकारों की रिहाई की राह आसान हो सकती है. रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्रैहम का कहना है कि अगर यह दौरा बेहतर रिश्तों की बुनियाद बन सके, तो क्या ही बात होगी. यह दूसरा मौक़ा है जब किसी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति उत्तर कोरिया का रुख किया है. 1994 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर उत्तर कोरिया गए थे. उस वक़्त दोनों देशों के बीच बेहद तनाव था. तब बिल क्लिंटन ही अमेरिका के राष्ट्रपति थे.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः महेश झा