'काले शून्य' से जर्मनी को क्यों है इतना प्यार
जर्मन भाषा में "श्वार्त्से नुल" या अंग्रेजी में "ब्लैक जीरो" - 'बचत' के बाद इसे जर्मन अर्थव्यवस्था का सबसे प्रिय शब्द कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी. आइए जानें संतुलित बजट को लेकर जर्मन जुनून के इस फॉर्मूले को.
बचत के पिता
जर्मनी के पूर्व वित्त मंत्री वोल्फगांग शौएब्ले इस ब्लैक जीरो फार्मूले का "चेहरा" बने. सन 2014 में पेश वित्तीय योजनाओं में जर्मनी को कोई नया कर्ज नहीं लेना पड़ा. सन 1969 के बाद ये पहला मौका था जब बजट पूरी तरह संतुलित रहा. इसे हासिल करने के लिए बजट खर्च में बढ़ोत्तरी का पूरा इंतजाम राजस्व से किया गया और सार्वजनिक कर्ज को घटाया गया.
जिसके लिए किया संविधान में संशोधन
"कर्ज पर ब्रेक" या जर्मन में "शुल्डेनब्रेम्जे" कहे जाने वाले प्रावधान को जर्मन संविधान में शामिल करवाने के लिए उसमें संशोधन तक करवाया गया. इसके तहत जर्मन राज्यों को अधिकार नहीं कि वे घाटा उठाकर योजनाएं चलाएं और केंद्र सरकार को भी कुल जीडीपी का 0.35 प्रतिशत से भी कम ही संरचनात्मक घाटा उठाने की अनुमति है. हालांकि तमाम अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे आर्थिक अस्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ता.
कर्ज या गुनाह?
कर्ज और कसूर दोनों के लिए जर्मन भाषा में एक शब्द है - शुल्ड. इससे कहीं ना कहीं पता चलता है कि जर्मन संस्कृति में दोनों कितने करीब समझे जाते हैं. जर्मन लोग पुरानी इमारतों में भी संतोष से जी सकते हैं. घर खरीदने के लिए लालायित रहने के बजाए किराए पर रह लेते हैं. क्रेडिट कार्ड वाली जीवनशैली से अब भी कोसों दूर हैं. कुल मिलाकर कर्ज लेकर घी पीने वाली सोच आम लोगों में भी नहीं देखी जाती है.
फॉर्मूले पर सवालिया निशान
जर्मन अर्थव्यवस्था के मंदी की ओर बढ़ने की अटकलें हैं. अगर बजट संतुलित रखना इतना प्रभावी होता तो ये नौबत नहीं आनी थी. पहले भी कई अर्थशास्त्री आर्थिक अस्थिरता को संभालने में इसकी कोई खास भूमिका ना होने की बात कह चुके हैं. फिर भी जर्मनी खर्च और निवेश दोनों कम करने की अपनी आदत के कारण ऐसी अर्थव्यवस्था गढ़ चुका है जिसमें नएपन, विस्तार और स्टार्ट अप कंपनियों के फलने फूलने में दिक्कतें महसूस हो रही हैं.
यूरोपीय पड़ोसियों का क्या
जर्मनी के इस फॉर्मूले में विश्वास के कारण जर्मनी में निवेश पर असर पड़ता है. लेकिन निर्यात पर आधारित यूरोप की इस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से ज्यादा छोटी अर्थव्यवस्थाओं वाले इसके बाकी यूरोपीय पड़ोसियों पर ज्यादा असर होता है. कमाई के बड़े हिस्से को जब दोबारा व्यापार में निवेश ना किया जाए और सरप्लस बढ़ेगा ही, जिसके लिए जर्मनी की आलोचना होती है.
गर्व का विषय
पूरे जर्मनी में कर्ज मुक्त होने का कई तरीकों से उत्सव जैसा मनाया जाता है. जैसे कि यहां चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी सीडीयू के लोग ब्लैक जीरो फॉर्मूले पर गर्व करते हुए फोटो लेते हुए. जर्मन राज्य हेस्से में बाकायदा ब्लैक जीरो की प्रतिमा लगाई गई है. डुसेलडॉर्फ शहर में यह घड़ी दिखा रही है कि शहर कितने समय से कर्ज-मुक्त है. (रिपोर्ट: एलिजाबेथ शूमाखर/आरपी)