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समाज

कामकाजी लोगों में बढ़ता तनाव बना चिंता की वजह

प्रभाकर मणि तिवारी
२६ फ़रवरी २०१९

भारत में कर्मचारियों में बढ़ता तनाव और शारीरिक गतिविधियों में कमी, बढ़ता मोटापा, वित्तीय असुरक्षा और तंबाकू का सेवन नियोक्ताओं के लिए गहरी चिंता का विषय बनता जा रहा है. इसका असर कर्मचारियों के काम-काज पर पड़ रहा है.

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Indien Jaipur Berufstätige Frauen
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

विलिस टावर वाटसन की ओर से कराए गए इंडिया हेल्थ एंड वेलबिंग स्टडी के एक ताजा अध्ययन से इसका पता चला है. अब कई कंपनियों ने कर्मचारियों का तनाव दूर करने की दिशा में पहल की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 66 फीसदी कर्मचारी तनाव के शिकार हैं.

अध्ययन

दफ्तरों में कामकाज के माहौल और कर्मचारियों की मानसिक व शारीरिक स्थिति पर किए गए अध्ययन में कहा गया है कि कर्मचारियों में बढ़ता तनाव नियोक्ताओं के लिए गहरी चिंता का विषय बनता जा रहा है. देश के लगभग 66 फीसदी यानी दो-तिहाई नियोक्ताओं ने अपने कर्मचारियों के तनाव व मानसिक स्वास्थ्य से निपटने की कारगर रणनीति बनाने की दिशा में ठोस पहल की है और 17 फीसद नियोक्ता वर्ष 2021 तक ऐसा करने पर विचार कर रहे हैं. लेकिन आखिर कर्मचारियों में लगातार बढ़ते इस तनाव की वजह क्या है. अध्ययन में वित्तीय तंगी, बढ़ता मोटापा और तंबाकू के इस्तेमाल को प्रमुख वजहें बताया गया है. शारीरिक गतिविधियां नहीं के बराबर होने की वजह से कर्मचारियों में बढ़ते मोटापे का असर उनके कामकाज पर भी पड़ रहा है.

टावर वाटसन इंडिया की निदेशक अनुराधा श्रीराम कहती हैं, प्रतिद्वंद्विता के मौजूदा दौर में लगातार बढ़ता काम का बोझ, उम्मीदों के मुताबिक नौकरी नहीं होना, कामकाज का माहौल सही नहीं होना और कम वेतनमान कर्मचारियों में बढ़ते तनाव की मुख्य वजहें हैं. वरिष्ठ अधिकारियों का अपने अधीनस्थों के प्रति रवैया भी एक अहम कारक है. विभिन्न अध्ययन से यह बात सामने आई है कि 50 फीसद लोग अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं हैं.

Indien Mitarbeiter der Bosch Ltd in Bangalore
नाखुश कर्मचारी, कंपनियों के लिए चिंतातस्वीर: imago/photothek

इससे पहले बीते साल अगस्त में एक संगठन ओप्टम ने अपने सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा था कि भारत में लगभग आधे कर्मचारी किसी ने किसी तरह के तनाव के शिकार हैं. उसने 70 बड़ी कंपनियों के लगभग आठ लाख कर्मचारियों के बीच सर्वेक्षण के बाद अपनी यह रिपोर्ट तैयार की थी. ओप्टम इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि काम, पैसा और परिवार तनाव की प्रमुख वजहें हैं. इसके अलावा माता-पिता की जिम्मेदारी निभाना, गर्भधारण, तबादले के बाद शहर बदलना और समाज से कट जाने जैसी चीजों की भी तनाव को बढ़ाने में अहम भूमिका रहती है. संगठन के व्यापार प्रमुख (भारत) अंबर आलम कहते हैं, "निजी व पेशेवर वजहों से होने वाली चिंता तनाव बढ़ाती है. इसका असर कर्मचारियों की उत्पादकता पर पड़ना लाजिमी है.” वह कहते हैं कि बीते खासकर डेढ़-दो वर्षों कंपनियों में होने वाले ढांचागत बदलावों ने कर्मचारियों को मन में नौकरी के प्रति असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है.

नौकरीपेशा लोगों को अपना सामाजिक स्टेट्स बनाए रखने के लिए हर साल देश-विदेश घूमने भी जाना होता है. इस पर होने वाला खर्च भी उन पर दिमागी बोझ बढ़ाता है. आईबीएम इंडिया के मानव संसाधान विभाग के प्रमुख चैतन्य एन. श्रीनिवास कहते हैं, "तेजी से होने वाले शहरीकरण ने इस समस्या को और जटिल बना दिया है. लोग नौकरी के लिए बड़े शहरों में पहुंच रहे हैं. वहां परिवार का समर्थन नहीं मिलता है. उनको घर से दफ्तर आने-जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. इससे कामकाज और जीवन का संतुलन गड़बड़ा जाता है.”

निपटने का उपाय

आटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा के समूह कार्यकारी उपाध्यक्ष (मानव पूंजी और नेतृत्व विकास) प्रिंस अगस्टिन बताते हैं, "हमारे यहां तनाव प्रबंधन प्रणाली है. ऐसी कोई भी चीज कर्मचारियों की प्रगति में बाधा बनती है. उसका असर कंपनी पर भी पड़ता है. कंपनी ने साल में 14 दिन की अनिवार्य छुट्टी की नीति बनाई है. कर्मचारी इन छुट्टियों के बाद तरोताजा होकर काम पर लौट सकते हैं. इसके अलावा काउंसेलिंग, योगा, ध्यान और स्वास्थ्य जागरुकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं.”

Indien Wasserversorgung Probleme in Neu Delhi
रोजमर्रा की जिंदगी में भी कई संघर्ष हैंतस्वीर: picture-alliance/epa

आरपीजी समूह भी अब कर्मचारियों की सहायता के लिए काउंसेलरों की नियुक्ति पर विचार कर रहा है. रेकेम आरपीजी के मानव संसाधन प्रमुख प्रतिमा सालुंखे बताती हैं, "हर जगह एक-एक ऐसे काउसंलेरों की नियुक्ति की जाएगी. इसके अलावा तनाव कम करने के कई अन्य उपायों पर भी विचार किया जा रहा है.” कई अन्य कंपनियां अपने कर्मचारियों को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए उनको मनोवैज्ञानिकों की मुफ्त सेवाएं भी मुहैया करा रही हैं.

विलिस टावर वाटसन के भारत प्रमुख रोहित जैन कहते हैं, "कर्मचारियों में बढ़ते तनाव को कम करने दिशा में कुछ संगठनों की ओर से की जाने वाली पहल सराहनीय है. लेकिन ऐसी ठोस रणनीति बनाते समय शारीरिक, भावनात्मक, वित्तीय और पारिवरिक यानी चारों पहलुओं को ध्यान में रखना होगा.” परिवार के खुश रहने पर कर्मचारियों में तनाव का स्तर घटेगा. यही वजह है कि अब कई कंपनियां कर्मचारियों के परिवारों के लिए भी कुछ न कुछ कार्यक्रम आयोजित करती रहती हैं. इनमें सामूहिक पिकनिक, देश-विदेश घूमना और विभिन्न त्योहारों के मौके पर सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन शामिल है.

(कहीं आपको भी तनाव तो नहीं)