दो साल बाद कश्मीर पर बातचीत
२४ जून २०२१बैठक की अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री कर रहे हैं. गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा, एनएसए अजित डोभाल, पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय भल्ला और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद हैं. कश्मीर के आठ राजनीतिक दलों से 14 नेताओं को बैठक में बुलाया गया है. इनमें चार पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं - नैशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद.
इनके अलावा कश्मीर में कांग्रेस के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर, पैंथर्स पार्टी के नेता भीम सिंह, सीपीएम के नेता यूसुफ तारिगामी, बीजेपी के निर्मल सिंह, कवींद्र गुप्ता और रविंद्र रैना, पीपल्स कांफ्रेंस के मुजफ्फर बेग और सज्जाद लोन और जेके अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी भी शामिल हैं. बैठक का एजेंडा क्या है इसकी आधिकारिक घोषणा केंद्र ने नहीं की है. कश्मीरी नेताओं ने मीडिया को बताया कि उन्हें केंद्र ने बताया है कि बैठक का कोई भी तय एजेंडा नहीं है और उसमें सभी मुद्दों पर चर्चा हो सकती है.
अटकलें लग रही हैं कि केंद्र चाहता है कि इस बैठक के माध्यम से जम्मू और कश्मीर में चल रही परिसीमन प्रक्रिया के लिए स्थानीय पार्टियों का समर्थन हासिल किया जाए. कश्मीरी नेताओं की अपेक्षा है कि बैठक में अगस्त 2019 की घटनाओं के बाद उन्हें पहली बार अपनी बात कहने का मौका मिलेगा. अगस्त 2019 के घटनाक्रम में इनमें से अधिकतर नेताओं को या तो अस्थायी जेलों में बंद कर दिया गया था या उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया था. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बैठक में इन नेताओं को किस सीमा तक अपनी बात कहने का अवसर मिल पाता है.
जहां तक परिसीमन का सवाल है, तो उसके लिए बनी समिति में एनसी के जो तीन सांसद हैं वो समिति की एक भी बैठक में शामिल नहीं हुए हैं. पार्टी ने राज्य कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा किया हुआ है. पार्टी का मानना है कि जब वो 2019 में कश्मीर में लाए गए इन बदलावों का समर्थन ही नहीं करती तो फिर इसी प्रक्रिया का हिस्सा होने के नाते परिसीमन प्रक्रिया से भी नहीं जुड़ सकती है. केंद्र को उम्मीद है कि अगर एनसी परिसीमन प्रक्रिया से जुड़ जाए तो फिर अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य का दर्जा हटाने की प्रक्रिया को भी मान्यता मिल जाएगी.
अटकलें यह भी लग रही हैं कि जम्मू और कश्मीर को सीमित रूप से फिर से राज्य बना देने पर भी चर्चा हो सकती है, लेकिन बड़ा सवाल यही रहेगा कि अनुच्छेद 370 को वापस लाने पर केंद्र चर्चा करेगा या नहीं. पीडीपी ने 370 को वापस लाने की मांग की है लेकिन कांग्रेस ने सिर्फ राज्य का दर्जा वापस देने की मांग की है.