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कभी जर्मन नागरिक रहे भारतीय विधायक की भारतीय नागरिकता रद्द

चारु कार्तिकेय
२१ नवम्बर २०१९

रमेश चेन्नमानेनी ने सालों जर्मनी में काम किया है और वे जर्मनी के नागरिक भी रहे हैं. पर क्या इसी वजह से उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी गई है?

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Indien Ramesh Chennamaneni  Telangana Parlament
तस्वीर: Telangana Legislative Assembly

रमेश चेन्नमानेनी तेलंगाना राष्ट्र समिति से तेलंगाना विधान सभा के सदस्य हैं. बतौर विधायक ये उनका तीसरा टर्म है लेकिन हो सकता है आज के बाद वो भारत में किसी चुनाव में हिस्सा ना ले सकें. 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रमेश चेन्नमानेनी की भारतीय नागरिकता ही रद्द कर दी  है, इस आधार पर कि उनके पास जर्मन नागरिकता है और 2009 में उन्हें भारतीय नागरिकता धोखे में दे दी गई थी.

रमेश की नागरिकता पर उठा विवाद पुराना है. दरसअल उन्होंने कई साल जर्मनी में रह कर शोध किया और 1993 में भारतीय नागरिकता छोड़ कर जर्मन नागरिकता अपना ली. 2008 में वे भारत वापस लौटे, फिर भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया और औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें फिर से भारतीय नागरिकता दे दी गई.

फिर उन्होंने राजनीति में कदम रखा, तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) से जुड़े, विधान सभा चुनाव लड़ा और जीत भी गए.  यहीं से उनकी मुश्किलें शुरू हो गईं. चुनाव में उनसे हारने वाले कांग्रेस के प्रतिद्वंदी आदि श्रीनिवास ने गृह मंत्रालय से शिकायत की कि रमेश की विधान सभा सदस्यता रद्द की जाए क्योंकि वे भारतीय नागरिक हैं ही नहीं और उन्होंने जाली कागजात के जरिये भारतीय नागरिकता हासिल की. 

Telangana rashtra samithi
फाइल तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Seelam

गृह मंत्रालय ने इस शिकायत का संज्ञान लेते हुए रमेश को नोटिस जारी किया. रमेश ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और यह अपील की कि उनकी नागरिकता के विषय में गृह मंत्रालय की जांच को खारिज किया जाये. अदालत ने जांच रोक दी. 

श्रीनिवास ने फिर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की और उसका अध्ययन करने के बाद अदालत ने जांच पर से रोक हटा ली. उसके बाद गृह मंत्रालय ने जांच को आगे बढ़ाया और 2017 में निर्णय दिया कि रमेश वाकई में भारतीय नागरिक नहीं हैं. रमेश तब तक टीडीपी छोड़ कर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से जुड़ चुके थे और पार्टी के टिकट पर फिर से चुनाव जीत कर विधायक बन चुके थे. 

उन्होंने गृह मंत्रालय के निर्देश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की, उस पर रोक हासिल की और 2018 में फिर से टीआरएस के ही टिकट पर चुनाव जीत कर तीसरी बार विधायक बन गए. 

जुलाई 2019 में हाई कोर्ट ने मामला फिर से गृह मंत्रालय के पास विचार करने के लिए वापस भेज दिया. मंत्रालय ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया और रमेश की नागरिकता रद्द कर दी. 

रमेश ने मीडिया को बताया कि वे न्याय पाने के लिए फिर से हाई कोर्ट के पास जाएंगे. 

जर्मनी में पढाई और शोध

रमेश ने 1982 में जर्मनी में लाइपजिष से कृषि विज्ञान में स्नातकोत्तर किया और 1987 में हुम्बोल्ट विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट हासिल की. विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भारत में कृषि रूपांतरण और संस्थागत बदलाव पर किये गए उनके शोध की जानकारी भी है. इसमें विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कोनराड हेगडॉर्न उनके सलाहकार भी थे. वे भारत और जर्मनी में दोनों देशों के सहयोग से चलने वाले कई कार्यक्रमों से जुड़े हुए हैं. 

राजनीतिक विरासत 

रमेश अपने परिवार में पहले जन प्रतिनिधि नहीं हैं. उनके पिता चेन्नमानेनी राजेश्वर राव जाने माने कम्युनिस्ट नेता थे और आंध्र प्रदेश विधान सभा के छह बार सदस्य रह चुके थे. बताया जाता है कि वे स्वतन्त्रता सेनानी भी थे और उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्सा लिया था. वे हैदराबाद में निजाम के शासन के खिलाफ हुए आंदोलन में भी शामिल थे और इस आंदोलन के दौरान वह पांच साल भूमिगत रहे और जेल भी गए. 

महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव राजेश्वर राव के सबसे छोटे भाई, यानी रमेश के चाचा, हैं. उनके एक और भाई पद्म भूषण हनुमंता राव जाने माने अर्थशास्त्री और लेखक हैं. वे योजना आयोग और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी थे. राजेश्वर राव के भांजे बी विनोद कुमार टीआरएस से सांसद हैं. 

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