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कड़ी शर्तों पर समझौता कर सकता है जापान

२५ अक्टूबर २०१०

भारत के साथ असैन्य परमाणु समझौता करने से पहले जापान एक सख्त द्विपक्षीय समझौता कर सकता है जो उसे नैतिक उलझन से निकाल सके. जापानी मीडिया ने कहा है कि अब ऐसे समझौते की संभावनाएं बन रही हैं.

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जापान के प्रधानमंत्री नाओतो कानतस्वीर: AP

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दो दिन जापान यात्रा पर हैं. दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु समझौते को लेकर बातचीत चल रही है लेकिन भारत ने एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं इसलिए जापान समझौते को लेकर झिझक रहा है. इस बारे में जापानी विदेश मंत्रालय के एक सूत्र के हवाले से क्योदो समाचार एजेंसी ने खबर दी है कि जापान भारत के साथ एक समझौता कर सकता है जिसकी शर्तें एनपीटी से भी ज्यादा सख्त होंगी. एजेंसी ने सूत्र के हवाले से लिखा है, "इस द्विपक्षीय समझौते की शर्तें एनपीटी की उन शर्तों से भी कठोर हो सकती हैं जो गैर परमाणु शक्ति संपन्न देशों पर लगाई गई हैं."

जापान दुनिया का अकेला ऐसा देश है जिसने परमाणु हमले झेले हैं. चूंकि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत नहीं किए हैं इसलिए जापान उसके साथ नागरिक परमाणु सहयोग को लेकर उलझन में हैं. हालांकि भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि वह जापान की संवेदनशीलता को समझते हैं और उस पर दबाव नहीं बनाएंगे.

एजेंसी ने लिखा है कि जापान परमाणु ऊर्जा से जुड़ी तकनीकों के लेन देन के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए लेन देन के वास्ते एक कानूनी ढांचा तैयार कर रहा है. यह सभी देशों पर लागू होगा. लेकिन भारत का मामला थोड़ा अलग है क्योंकि भारत के पास पहले से ही परमाणु हथियार हैं और वह एनपीटी पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता रहा है. जब जून महीने में भारत और जापान के बीच परमाणु सहयोग पर बातचीत शुरू हुई तभी हिरोशिमा और नागासाकी पर 1945 के परमाणु हमले में बचे लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया था.

लेकिन जापान इस समझौते के आर्थिक फायदों को भी नजरअंदाज नहीं कर पा रहा है. वह अपना निर्यात बढ़ाना चाहता है. इसमें ढांचागत विकास के लिए जरूरी चीजें जैसे परमाणु बिजली संयंत्र उसके लिए बड़े काम की चीज साबित हो सकती है. एजेंसी ने लिखा है, "भारत के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने के पीछे जापान के पास कई रणनीतिक वजहें भी हैं. तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था चीन को कड़ा मुकाबला दे सकती है. चीन के साथ जापान के रिश्तों में तनाव बढ़ने के बाद वह भारत के साथ अपने संबंध खराब नहीं करना चाहेगा."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ओ सिंह

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