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कठिन हालातों में होंगे करतारपुर गलियारे पर हस्ताक्षर

२३ अक्टूबर २०१९

बुधवार को भारत और पाकिस्तान एक बीस साल पुराने सपने को सच करने वाले समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. इस समझौते की वजह से दोनों देशों में मौजूद सिखों के दो अलग अलग पवित्र स्थलों को एक गलियारे के माध्यम से जोड़ दिया जाएगा.

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Pakistan Eröffnung des  Kartarpur-Korridors
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K.M. Chaudary

करतारपुर गलियारा भारत के उत्तरी राज्य पंजाब में स्थित डेरा बाबा नानक साहिब को पाकिस्तान के पंजाब में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर से जोड़ देगा. ये गलियारा  करीब 4.5 किलोमीटर लम्बा होगा और इसके तहत श्रद्धालु दोनों पवित्र स्थलों पर बिना वीजा के जा पाएंगे. इस गलियारे  की अहमियत सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है कि रावी नदी के दोनों तरफ स्थित इन पवित्र स्थलों की यात्रा के लिए दूरी को 125 किलोमीटर से घटा के 4.5 किलोमीटर कर देगा. कई समीक्षक इसे आपस में 4 युद्ध लड़ चुके दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों में एक अनूठा प्रयोग मानते हैं.

Pakistan Eröffnung des  Kartarpur-Korridors
करतारपुर में प्रधानमंत्री इमरान खान तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K.M. Chaudary

रावी नदी के तट पर भारत में बसे डेरा बाबा नानक में तीन प्रसिद्ध गुरूद्वारे हैंः श्री दरबार साहिब, श्री चोला साहिब और तहली साहिब. नदी के उस पार पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु गुरु नानक का समाधि स्थल है. भारत और पाकिस्तान के बीच की सरहद के द्वारा एक दूसरे से अलग कर दिए गए ये दोनों पवित्र स्थल इतने पास हैं कि अगर मौसम साफ हो तो भारत में श्रद्धालु सरहद के उस पार बने गुरुद्वारा करतारपुर साहिब को बिना दूरबीन के भी देख सकते हैं. अंग्रेजों से आजादी मिलने और दोनों देशों का बंटवारा होने के बाद से ही भारत में सिख समुदाय की इच्छा रही है कि किसी तरह से दोनों स्थल एक दूसरे से जुड़ सकें. कई सरकारों ने इसके लिए कई तरह के उपाय सुझाए लेकिन दोनों देशों के बीच परस्पर बैर के बीच किसी भी सुझाव पर अमल नहीं हो सका. 

बीस साल पुराना सपना

1999 में पहली बार भारत और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ के बीच करतारपुर गलियारे को लेकर बात हुई. पर सालों बीत गए और ये एक सपना ही रहा. सितम्बर 2018 में पाकिस्तान की सरकार ने घोषणा की कि वो जल्द ही करतारपुर के पास सीमा को खोल देगी जिससे भारत के सिख श्रद्धालु बिना वीजा के गुरुद्वारा करतारपुर साहिब जा सकेंगे. 29 नवम्बर 2019 को गुरु नानक के जन्म के 550 साल पूरे हो जाएंगे और उस तारीख से पहले सिख श्रद्धालु गलियारे के खुलने की आस लगाए बैठे हैं. 

Öffnungszeremonie Kartarpur-Korridor zwischen Indien und Pakistan
डेरा बाबा नानक में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी और कैप्टेन अमरिंदर सिंहतस्वीर: Getty Images/AFP/N. Nanu

26 नवम्बर 2018 को भारत में और उसके दो दिन बाद पाकिस्तान में गलियारे की नींव रखी गई. नींव के रखे जाने से दो दिन पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस गलियारे के खुलने की तुलना बर्लिन की ऐतिहासिक दीवार के गिरने से की और कहा कि जैसे कभी किसी ने सोचा नहीं था कि बर्लिन की दीवार भी किसी दिन गिर जाएगी, वैसे ही हो सकता है ये गलियारा आने वाले दिनों में सिर्फ एक गलियारा नहीं बल्कि दोनों देशों के लोगों के बीच एक सेतु बन जाए.

बिगड़ते रिश्तों का साया

अब ये सपना साकार होने के करीब है, पर इस पर भारत और पाकिस्तान के बीच बिगड़ते रिश्तों की छाया लगातार रही है. भारतीय पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तो दिसंबर 2018 में इस गलियारे को खोलने के पाकिस्तान के अचानक लिए फैसले को पाकिस्तानी सेना का षड़यंत्र बताया था. वो कई दिनों तक इस परियोजना को लेकर प्रतिकूल रहे पर अब उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है. 9 नवम्बर को, जब इस गलियारे के खुलने की उम्मीद है, सिंह खुद एक सर्व-दलीय समूह का नेतृत्व करेंगे और उद्घाटन समारोह के लिए पाकिस्तान जाएंगे. 

Öffnung Kartarpur-Korridor zwischen Indien und Pakistan
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Ali

नींव रखे जाने से लेकर अभी तक, इस एक साल में भी इस परियोजना को कई अड़चनों से गुजरना पड़ा. दोनों देशों की तरफ से गलियारे के क्रियान्वयन के लिए विशेष टीमें बनाई गईं और इनके बीच बारीकियों को सुनिश्चित करने के लिए वार्ता के कई दौर हुए. कई मुद्दों पर वार्ता स्थगित भी हुई. पहले कितने श्रद्धालु जा सकेंगे इसको लेकर भी गतिरोध उत्पन्न हुआ. भारत ने 10,000 श्रद्धालुओं का प्रस्ताव रखा था पर पाकिस्तान इतनी बड़ी संख्या के लिए राजी नहीं हुआ. अंत में सहमति 5,000 श्रद्धालुओं पर बनी और वार्ता आगे बढ़ी. 

नया गतिरोध उस शुल्क को लेकर हुआ जो पाकिस्तान के प्रस्ताव के अनुसार करतारपुर जाने वाले हर श्रद्धालु से पाकिस्तान की सरकार लेगी. 20 डॉलर के इस शुल्क पर भारत ने आपत्ति जताई और पाकिस्तान से इसे रद्द करने को कहा. पर पाकिस्तान अपने प्रस्ताव पर कायम रहा और अंत में भारत ने इस पर अपनी निराशा जताते हुए इसे मान लिया. हालांकि भारत ने ये भी कहा है कि अगर भविष्य में पाकिस्तान इस शुल्क को रद्द कर देता है तो भारत समझौते में संशोधन करने के लिए तैयार रहेगा.

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