कचरा रिसाइक्लिंग का चैंपियन है जर्मनी
कचरे को मैनेज करना बहुत से देशों के लिए गंभीर चुनौती है, लेकिन जर्मनी इस मामले में एक मिसाल है. कचरे को यहां शुरुआती स्तर पर ही एक दूसरे से अलग कर लिया जाता है ताकि आगे उस पर होने वाले खर्च से बचा जा सके.
अलग अलग डिब्बे
घर के बाहर पीले, हरे, ग्रे और नीले रंग के डब्बे होते हैं. डिब्बों के रंग के मुताबिक कचरा डाला जाता है. जैसे हरे डिब्बे में रसोई से निकले वाला कचरा जिसका खाद बनाया जाता है और पीले डिब्बे में प्लास्टिक का कचरा.
कचरे का विभाजन
घर पर ही अलग अलग डिब्बों में प्लास्टिक, कागज, कांच और रसोई के कचरे को अलग कर लिया जाता है. इन कचरों को घर के बाहर रखे रंग बिरंगे डिब्बों में फेंका जाता है. जर्मनी के करोड़ों घरों में ऐसी ही प्रणाली है.
झाड़ू भी मशीन भी
आम तौर पर घर के बाहर कचरे की सफाई के लिए जर्मनी में झाड़ू का इस्तेमाल होता है. लेकिन सड़कों के लिए रोड स्वीपिंग मशीन है जो सड़कों को चमका देती हैं. फुटपाथ के लिए हैंड हेल्ड ब्लोअर का इस्तेमाल होता है. इस मशीन से पत्तों को बड़ी आसानी के साथ इकट्ठा किया जाता है.
कचरे के लिए फीस
परिवार के सदस्य के हिसाब से हर घर से एक रकम वसूली जाती है. यह रकम वह कंपनी वसूलती जिसका जिम्मा घर से कचरा उठाने का होता है और उसको सही तरीके से निपटाने का होता है.
प्लास्टिक की बोतलें
कोल्ड ड्रिंक की बोतलें और बीयर की बोतलों को वापस स्टोर में लौटाने की सुविधा होती है. जिससे बेवजह कचरा नहीं जमा होता. बेकार बोतलों के पैसे भी मिल जाते हैं.
रिसाइक्लिंग
जर्मनी में जिस तरह से कागज और प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है उसी तरह से इनको रिसाइकिल भी किया जाता है. दफ्तर, घर और रेस्तरां में कागज के तौलिए का इस्तेमाल होता है और बाद में इन्हें दोबारा रिसाइकिल कर दिया जाता है.
ट्रेनिंग
जर्मनी में बच्चों को बहुत ही छोटी उम्र से कचरे के प्रबंधन के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है. यह ट्रेनिंग मां बाप, दादा दादी और शिक्षक देते हैं. रोजाना उन्हें छोटी छोटी बातें सिखाई जाती है जिसे वह बड़े होकर भी नहीं भूलते.