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ओबामा के सहिष्णुता भाषण का समर्थन

६ फ़रवरी २०१५

भारत में धार्मिक असहिष्णुता पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की टिप्पणी के बाद देश के मुस्लिम और ईसाई नेताओं ने बीजेपी के सत्ता में आने के बाद भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के बीच बढ़ते डर की चेतावनी दी है.

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तस्वीर: S. Hussain/AFP/Getty Images

औपचारिक रूप से धर्मनिरपेक्ष भारत में धार्मिक आजादी का मामला पिछले साल हिन्दू राष्ट्रवादी बीजेपी की जीत और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद विवादों में आ गया है. ओबामा की टिप्पणी ऐसे दिन हुई है जब राजधानी दिल्ली में गिरजों पर हुए हमलों के खिलाफ ईसाइयों का प्रदर्शन का अंत पुलिस के साथ हिंसक झड़पों के साथ हुआ.

यूनाइटेड क्रिस्चियन फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स के प्रवक्ता जॉन दयाल का कहना है कि भारत में धार्मिक असहिष्णुता पर बेचैनी बढ़ रही है. उन्होंने कहा, "पूरी दुनिया भारत में अल्पसंख्यकों की आशंकाओं की बात कर रही है. राष्ट्रपति ओबामा ने उतना दोटूक बोला है जितना वे बोल सकते थे." दिल्ली के कैथोलिक आर्चडियोसेज के फादर जोमिनिक ने कहा कि भारत को इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि अलग अलग धर्म एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं.

जम्मू और कश्मीर के मौलाना मीरवाइज उमर फारूक ने कहा है कि यह चिंता की बात है कि मोदी के शासन में हिन्दू हार्डलाइनर ताकतवर हो रहे हैं और वे अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा की भावना फैला रहे हैं. उन्होंने कहा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि हिन्दुत्ववादी ताकतें मजबूत हो रही हैं. यह खतरनाक रुझान है."

Brandanschlag an einer Kirche in Neu Delhi
गिरजे पर हमलातस्वीर: Florent Martin

गुजरात में 2002 में हुए सांप्रादायिक दंगों के बाद नरेंद्र मोदी अमेरिका में एक दशक से ज्यादा तक अवांछित थे और अमेरिकी सरकार ने उनका वीजा रद्द कर दिया था. पिछले हफ्तों में उनकी इस बात के लिए भी आलोचना हुई है कि उन्होंने अपनी पार्टी के सांसदों के कट्टरवादी टिप्पणियों पर खुलकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और पार्टी के नजदीकी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे धर्मांतरण अभियानों की आलोचना नहीं की है. बीजेपी की सांसद ने हिन्दू महिलाओं से धर्म रक्षा के लिए चार बच्चे पैदा करने को कहा था.

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नेशनल प्रेयर ब्रेकफास्ट में अपने संबोधन में भारत को अतुल्य खूबसूरत तथा विविधताओं वाला देश बताया है लेकिन साथ ही कहा है कि यहां धार्मिक असहिष्णुता की कुछ ऐसी घटनाएं भी हैं जिन्हें देखकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी स्तब्ध रह जाते. भारत सरकार की ओर से इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन बीजेपी के प्रवक्ता नरसिंहा राव ने कहा, "मैं समझता हूं कि वे हमारे समाज की आम असहिष्णुता की बात कर रहे हैं."

हाल ही में भारत का दौरा कर वापस लौटे अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत में धार्मिक आजादी का उदाहरण देते हुए तर्क दिया कि किस तरह से आस्था लोगों को अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित करती है लेकिन किस तरह से इसी आस्था को गलत रंग देकर हथियार बनाया जा सकता है. ओबामा ने कहा कि भारत अनेकता में एकता वाला देश है लेकिन यह वही स्थान है जहां पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न धर्म तथा आस्था वाले लोगों ने कई मौकों पर अलग धर्म के लोगों को निशाना बनाया है.

बराक ओबामा ने कहा, "असहिष्णुता की इन घटनाओं को देखकर देश को आजादी दिलाने वाले नायक गांधी जी भी दुखी होते." उन्होंने कहा, "किसी एक समूह या धर्म की बात नहीं है. यह हमारे अंदर की एक आपराधिक प्रवृत्ति है जो हमें गुमराह कर हमारी आस्था को विकृत कर सकती है." भारत की तीन दिवसीय यात्रा के अंत में भी ओबामा ने भारत को "धार्मिक सहिष्णुता" अपनाने की सलाह दी थी.

एमजे/ओएसजे (एएफपी, वार्ता)