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ऑस्ट्रेलिया में खंडित जनादेश

२२ अगस्त २०१०

ऑस्ट्रेलिया त्रिशंकु संसद की ओर बढ़ रहा है. 70 साल में ऐसा पहली बार हुआ कि ऑस्ट्रेलिया में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला हो. एबीसी रेडियो के मुताबिक प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड टोनी अबॉट से पीछे हैं.

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तस्वीर: AP

रविवार सुबह तक 75 फीसदी मतों की गिनती हो चुकी है जिसमें दोनों ही प्रतिद्वंद्वियों को बहुमत नहीं मिला है. केविन रड से कुर्सी छीनने के बाद ऑस्ट्रेलिया की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी जूलिया गिलार्ड को लोगों ने बहुमत नहीं दिया है लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी टोनी अबॉट को भी बहुमत मिलता दिखाई नहीं देता. एबीसी के मुताबिक गिलार्ड को 70 और अबॉट को 72 सीटें मिली हैं.

माना जा रहा है कि लेबर पार्टी को पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 76 सीटें नहीं मिल सकेंगी और उन्हें संसद में सहयोग के लिए स्वतंत्र उम्मीदवारों के समर्थन की जरूरत होगी. गिलार्ड ने अपने समर्थकों से कहा, "लोगों ने अपना मत दे दिया है लेकिन अभी ये जानने में थोड़ा समय लगेगा कि उन्होंने किसे आदेश दिया है. रात तक के नतीजों से हम ये कह सकते हैं कि कई स्वतंत्र उम्मीदवार सरकार बनाने में भूमिका निभाएंगे."

Wahlen in Australien
तस्वीर: AP

चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि दो तीन सप्ताह मामला अटका रहेगा क्योंकि दोनों पार्टियां उम्मीदवारों को अपने साथ लेने की कोशिश करेंगी. लिबरल नेशनल गठबंधन के नेता टोनी अबॉट ने कहा, "आज रात ये साफ हो गया कि लेबर पार्टी ने बहुमत खो दिया है."

इस चुनाव के साथ लेबर पार्टी को करारा झटका लगा है. 2007 में केविन रड के नेतृत्व में लेबर पार्टी की सरकार बनी लेकिन इस साल जून में जूलिया गिलार्ड ने उनकी कुर्सी छीन कर समय से पहले चुनाव करवाए. लगता है कि मतदाताओं ने उन्हें इस उलटफेर की सजा दी है.

एक करोड़ चालीस लाख मतदाताओं ने वोटिंग में हिस्सा लिया. क्वीन्सलैंड और न्यू साउथ वेल्स में ग्रीन पार्टी को काफी मत मिले. उन्हें कुल 11 फीसदी से भी ज्यादा मत मिले हैं जो उनके लिए एक रिकॉर्ड है.

गिलार्ड एक वकील रह चुकी हैं, उन्होंने चुनावों के दौरान शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी को अपना मुद्दा बनाया और आर्थिक संकट के दौरान लेबर पार्टी की सफल नीतियों का सहारा लिया. जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी टोनी अबॉट, एकदम रुढ़िवादी हैं और जलवायु परिवर्तन के मामले में इन्सान की कोशिशों को संदेह की नजर से देखते हैं. उन्होंने चुनाव में अवैध आप्रवास, लेबर पार्टी के खर्चों और केविन रड के हटाए जाने को मुद्दा बनाया.

रविवार सुबह हुई मतगणना के बाद तीन स्वतंत्र उम्मीदवारों को विजयी घोषित किया गया है.

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से ऑस्ट्रेलिया में ये पहली त्रिशंकु संसद की स्थिति बनती दिखाई दे रही है. चुनाव के जानकारों का कहना है कि इस कारण देश में काफी दिनों तक राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बना रह सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः एस गौड़

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