ऐसे हुई एडवेंट कैलेंडर की शुरुआत
क्रिसमस के दौरान बच्चों को एडवेंट कैलेंडर उपहार के तौर पर दिया जाता है. 24 दिनों तक बच्चे हर दिन एक एक उपहार खोलते हैं. इस प्यारे से रिवाज की शुरुआत आखिर हुई कहां से?
क्रिसमस का काउंट-डाउन
जर्मनी में एडवेंट कैलेंडर के बिना क्रिसमस की कल्पना भी नहीं की जा सकती. आज यह परंपरा ज्यादातर चॉकलेट के डब्बे तक ही सिकुड़ कर रह गई है. लेकिन इसकी शुरुआत 20वीं सदी के आरंभ में प्रोटेस्टेंट ईसाईयों ने की थी. और तब इसका रूप अलग था.
उपहार देने की परंपरा
16वीं सदी तक बच्चों को छह दिसंबर को उपहार मिला करते थे. इसे सेंट निकोलस डे के रूप में मनाया जाता था. लेकिन मार्टिन लूथर ने इसे बदला और तब से क्रिसमस के दिन ही उपहार देने का सिलसिला शुरू हुआ. ताकि बच्चों को इतना लंबा इंतजार ना करना पड़े, इसलिए एडवेंट कैलेंडर की परंपरा शुरू हुई.
गरीबों का त्योहार
जिन परिवारों के पास बच्चों को हर दिन उपहार देने के पैसे नहीं थे, वे अपने दरवाजे पर चॉक से 24 लकीरें लगा दिया करते थे. हर दिन बच्चे एक लकीर मिटाते और यह सोच कर खुश होते कि उपहार मिलने के और करीब पहुंच गए हैं. धीरे धीरे एडवेंट की परंपरा कैथोलिक ईसाईयों में भी लोकप्रिय हो गई.
पहला एडवेंट कैलेंडर
साल 1902 में पहली बार एक प्रोटेस्टेंट बुक स्टोर ने पहला एडवेंट कैलेंडर छापा. इसे घड़ी की शक्ल में बनाया गया था. धीरे धीरे इसका चलन चल पड़ा और अखबारों ने भी कट-आउट बेचने शुरू कर दिए. हर दिन एक एक कर कुल 24 कट-आउट्स को लोग अपने घर में लगा सकते थे.
दरवाजों वाला कैलेंडर
आज जिस रूप में एडवेंट कैलेंडर को जाना जाता था उसकी शुरुआत 1920 में हुई. हर दिन एक दरवाजा खोला जाता, अंदर कोई उपहार नहीं, बल्कि बाइबल की कोई पंक्ति लिखी होती. नाजी काल में परीकथाओं के किरदारों वाले कैलेंडर काफी लोकप्रिय थे.
बाजार में छाया
1950 के बाद से ये कैलेंडर बाजार में छा गए. अब हर कोई इन्हें खरीद सकता था. हर कैलेंडर में कोई अलग आइडिया होता. किसी में चॉकलेट होती, तो किसी में क्रिसमस की कोई और मिठाई. किसी में बर्फ से ढंके गांवों के दृश्य होते, तो किसी में धार्मिक तस्वीरें.
खुद भी बनाएं
आज बाजार में उपलब्ध ज्यादातर एडवेंट कैलेंडर चॉकलेट से भरे होते हैं. लेकिन कई लोग इन्हें घर पर खुद भी बनाते हैं. 24 मौजों या थैलों में छोटे छोटे उपहार होते हैं. कोई नियम कानून नहीं, जिसे जो भी उपहार देना हो, वो उसे पैक कर सकता है. बच्चों को भी इन्हें बनाने में काफी मजा आता है.
दुनिया भर में
क्रिसमस हो या एडवेंट कैलेंडर, अब इन्हें धार्मिक कम और सांस्कृतिक रूप से ज्यादा देखा जाता है. बाजार में महिलाओं के लिए कॉस्मेटिक प्रोडक्ट और आभूषणों वाले कैलेंडर हैं, तो पुरुषों के लिए बियर और वाइन वाले भी. जर्मनी के बाहर भी ये काफी लोकप्रिय हैं और त्योहारों के मौसम में हर कंपनी अपने रूप में इन्हें बेचने में लगी रहती है.
सबसे बड़ा
दुनिया का सबसे बड़ा एडवेंट कैलेंडर है जर्मनी के लाइपजिग शहर में. ये एक घर की दीवार पर बना है और यहां हर दिन एक असली खिड़की खुलती है. इसका आकार है 9200 वर्ग फीट. क्रिसमस तक हर दिन शाम चार बजे एक खिड़की खुलती है और रोशनी से भरी अद्भुत सजावट देखने को मिलती है.