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ऐसे तो 26/11 केस आगे नहीं बढेगाः पाक कोर्ट

१६ अक्टूबर २०१०

पाकिस्तान में आतंकवाद निरोधी अदालत ने कहा है कि अजमल कसब और फहीम अंसारी जैसे चश्मीदीदों से पूछताछ के बिना मुंबई हमलों का मुकदमा आगे नहीं बढ़ सकता. हमलों के सिलसिले में सात पाकिस्तानियों के खिलाफ मामला इसी अदालत में है.

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तस्वीर: AP

पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी और छह अन्य लोगों को नवंबर 2008 के मुंबई हमलों के सिलसिले में आरोपी बनाया गया है. लेकिन अभियोजन पक्ष आतंकवाद निरोधी अदालत के जज मलिक मोहम्मद अकरम आवान को दो मुद्दों पर संतुष्ट करने में नाकाम रहा. इनमें भारतीय संदिग्ध अंसारी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करना और मुख्य चश्मीदीदों से पूछताछ के लिए आयोग भेजने के लिए भारत की लिखित अनुमति का मुद्दा शामिल है.

रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधी अदालत में कैमरों के साये में सुनवाई करने वाले जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष की तरफ से सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई हमलों के दौरान पकड़े गए इकलौते हमलावर के खिलाफ गैर जमानती वारंट पर तामील नहीं हो सकती क्योंकि उसे दोषी साबित कर भारत की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. लेकिन मुंबई हमलों के मामले में भारतीय संदिग्ध अंसारी के गिरफ्तारी वारंट पर अभियोजन पक्ष खामोश है. अंसारी को मुंबई की विशेष अदालत बरी कर चुकी है.

Zeichnung Gericht David Coleman Headley vor Richter Harry Leineweber
तस्वीर: picture alliance/dpa

सूत्रों के मुताबिक जज ने कहा कि जब तक इन वारंटों पर तामील नहीं हो जाती और अदालत को अंसारी जैसे चश्मदीदों से पूछताछ का मौका नहीं मिलता, यह मुकदमा आगे नहीं बढ़ सकता है. जज ने भारत में 24 अहम चश्मदीदों से पूछताछ करने के लिए एक आयोग बनाने के बारे में सरकार के आवेदन पर अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की दलीलें सुनी. इन लोगों में कसब के अलावा उसका बयान लेने वाले मजिस्ट्रेट और मुंबई हमलों की जांच करने वाले मुंबई पुलिस के अफसर भी शामिल हैं.

सूत्रों का कहना है कि अभियोजन पक्ष जज को यह भरोसा दिलाने में नाकाम रहा कि उसे पाकिस्तानी आयोग के दौरे के लिए भारत की तरफ से लिखित अनुमति मिल गई है. बचाव पक्ष के वकीलों ने भारतीय मीडिया की कुछ क्लिपें पेश की जिनमें कहा गया है कि अगर पाकिस्तानी अधिकारी आग्रह करते हैं तो भारत सरकार उनके आयोग को भारत आने की अनुमति देने पर विचार कर सकती है.

इसके बाद अभियोजन पक्ष ने विभिन्न औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए चार हफ्ते का समय मांगा है. जज अवान ने मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को तय की है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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