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समाज

'ऐतिहासिक अपराध' के लिए जर्मनी ने पोलैंड से माफी मांगी

२ सितम्बर २०१९

जर्मनी ने पोलैंड से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किए गए ऐतिहासिक अपराधों के लिए माफी मांगी है. जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने नाजी जर्मनी के पोलैंड पर हमले की 80वीं बरसी के दौरान माफी मांगी.

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Gedenken an den Beginn des 2. Weltkrieges in Polen
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. von Jutrczenka

पोलैंड की राजधानी वारसॉ में जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने कहा, "मेरे देश ने एक भीषण युद्ध शुरू किया, जिसकी कीमत पांच करोड़ से ज्यादा लोगों ने चुकाई- उनमें करोड़ों लोग पोलिश नागरिक थे- उनकी जानें गईं. युद्ध जर्मनी का एक अपराध था." रविवार को हुई स्मृति सभा के दौरान पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रे दुदा, अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस, जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल, फ्रांस के प्रधानमंत्री इदोवा फिलिप समेत 30 अन्य देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे.

हिटलर के नेतृत्व वाले जर्मनी के अपराधों को स्वीकार करते हुए जर्मन राष्ट्रपति ने कहा, "मैं, (मैर्केल) के साथ लोगों को बताना चाहता हूं कि हम इसे नहीं भूलेंगे. हम उन जख्मों को नहीं भूलेंगे जो जर्मनी ने पोलैंड को दिए. हम उन पोलिश परिवारों की पीड़ा नहीं भूलेंगे, ना ही हम उनके प्रतिरोध वाले साहस को भूलेंगे."

एक सितंबर 1939 को जर्मनी ने पोलैंड पर हमला किया. इस हमले को यूरोप में दूसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत माना जाता है. हमला जर्मनी और सोवियत संघ के बीच हुए मोल्तोव-रिबेनट्रॉप समझौते के हफ्ते भर बाद हुआ. जर्मनी के बाद 17 सितंबर को सोवियत संघ ने भी पोलैंड पर हमला कर दिया. इस तरह जर्मनी और सोवियत संघ ने पोलैंड के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया.

80वीं स्मृति सभा के दौरान पोलैंड के राष्ट्रपति दुदा ने जर्मनी के साथ साथ सोवियत संघ के जनसंहार को भी याद किया. 1940 में पोलैंड के काटिन में सोवियत सेना ने पोलिश अधिकारियों की बड़े पैमाने पर हत्या की. वहीं जर्मनी ने 1940 से 1945 के दौरान यातना शिविर आउशवित्स में 11 लाख लोगों को मौत के घाट उतारा. इनमें ज्यादातर यहूदी थे. पोलैंड के राष्ट्रपति ने कहा, "कोई भी कह सकता है कि जर्मनों ने पोलिश लोगों को अपमानित किया, क्योंकि वे पोलैंड की जमीन पर एक विध्वंसकारी मशीनरी छोड़ गए."

Berlin Gedenken an den Beginn des 2. Weltkrieges in Polen | Andrzej Duda
पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रे दुदातस्वीर: Reuters/Agencja Gazeta/D. Zuchowicz

पोलैंड के राष्ट्रपति ने आज भी दुनिया में हो रही सामूहिक हत्याओं और जनसंहारों का हवाला देते हुए कहा कि नाटो जैसे अंतरराष्ट्रीय गठबंधन और यूरोपीय संघ की अहमियत कायम है.

पोलिश और जर्मन राष्ट्रपति के भाषणों में मौजूदा राजनीतिक हलचल का जिक्र भी था. दुदा ने बीते कुछ सालों से जॉर्जिया और यूक्रेन में जारी रूसी आक्रामक रुख का जिक्र किया. वहीं श्टाइनमायर ने अमेरिका के उस दबाव का जिक्र किया जो नाटो में जर्मनी के योगदान पर सवाल कर रहा है. जर्मन राष्ट्रपति ने कहा, "हमें यूरोपीय सुरक्षा के लिए ज्यादा योगदान देना होगा. हमें यूरोप की समृद्धि के लिए ज्यादा काम करना होगा. हमें यूरोप की एकजुटता की खातिर ज्यादा सुनना होगा."

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान करीब 60 लाख पोलिश नागरिक मारे गए. पोलैंड के कई शहर पूरी तरह बर्बाद हो गए. अमेरिकी उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "पोलैंड के चरित्र में साहस और शक्ति इतनी गहरी है कि उसे कोई तबाह नहीं कर सकता है. पोलैंड ने खुद को नायकों का देश साबित किया है."

पोलैंड के कई नेता द्वितीय विश्व युद्ध के अपराधों के लिए जर्मनी से मुआवजा मांग रहे हैं. 80वीं स्मृति सभा के दौरान पोलैंड के प्रधानमंत्री मातेउस मोराविएस्की ने जर्मनी ने हर्जाने की मांग की. जर्मन सरकार का कहना है कि इस मांग का समाधान 1990 की एकीकरण वार्ता के दौरान हुए अंतरराष्ट्रीय समझौते से किया जा चुका है.

पोलैंड की सत्ताधारी लॉ एंड जस्टिस पार्टी द्वितीय विश्व युद्ध को अपनी राजनीति का मुख्य एजेंडा बनाती रही है. पार्टी का आरोप है कि पश्चिम आज भी नाजी कब्जे के दौरान पोलैंड को हुए नुकसान को लेकर पूरी तरह संजीदा नहीं है. आलोचकों का कहना है कि पार्टी इस मुद्दे के जरिए राष्ट्रवादी भावनाओं को उभारना चाह रही है. 

निकोल गोएबेल/ओएसजे (डीपीए, रॉयटर्स, एपी)

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