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एस्प्रिन से घटता है कैंसर का खतराः रिसर्च

२८ अक्टूबर २०११

ऐसे लोग जिनकी पीढ़ियों में कैंसर के मरीज रहे हों यानी जो खुद भी आनुवांशिक तौर पर कैंसर के खतरे की जद में हों, वे अगर लंबे समय तक रोजाना एस्प्रिन लेते हैं, तो उनका खतरा 60 फीसदी कम हो जाता है.

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तस्वीर: picture-alliance / dpa/dpaweb

साइंस पत्रिका द लांसेट ने यह रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट के मुताबिक लंबे समय तक और विस्तृत नमूनों को आधार बनाकर की गई रिसर्च से यह बात पता चली है कि मलाशय और गुदा के कैंसर के खिलाफ एस्प्रिन में रक्षात्मक गुण पाए गए हैं. इस रिसर्च में लिंच सिंड्रोम के मरीजों को शामिल किया गया. लिंच सिंड्रोम जीन्स में एक तरह की खामी होती है जो आंत और कुछ अन्य कैंसर की वजह बनता है. लांसेट के मुताबिक एक हजार में से कोई एक आदमी लिंच सिंड्रोम का शिकार होता है. आंत के कैंसर के हर 30 मरीजों में से एक लिंच सिंड्रोम का शिकार होता है.

कैसे हुई रिसर्च

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तस्वीर: Bayer

रिसर्च के लिए 861 मरीजों में से कुछ को दिन में दो एस्प्रिन यानी 600 मिलिग्राम की डोज दी गई और बाकियों को एक सामान्य हानिरहित दवा प्लासेबो. यह रिसर्च लगभग दो साल तक चली और मरीजों की नियमित रूप से जांच की गई.

2007 में रिसर्च के डाटा का पहली बार विश्लेषण किया गया लेकिन दोनों तरह के नमूनों में कोई अंतर नहीं मिला. लेकिन कुछ साल बाद जब दोबारा जांच हुई तो हैरतअंगेज नतीजे सामने आए. तब तक प्लासेबो वाले ग्रुप में 34 लोगों को कैंसर हो चुका था जबकि एस्प्रिन वाले ग्रुप में 19 लोगों को. एस्प्रिन वाले ग्रुप का आंकड़ा 44 फीसदी की कमी दिखा रहा था.

इस नतीजे से हैरान लोगों ने तब उन मरीजों की जांच की जो दो साल तक लगातार दवा ले रहे थे. प्लासेबो वाले ग्रुप में 23 लोगों को कैंसर हुआ जबकि एस्प्रिन वाले ग्रुप में 10 को. इसमें 63 फीसदी की कमी दर्ज की गई. लेकिन ये नतीजे पांच साल की रिसर्च के बाद आए थे.

क्या करें डॉक्टर

इस रिसर्च ने एक नई रिसर्च के लिए रास्ता तैयार कर दिया है. अब वैज्ञानिक इस बात पर रिसर्च कर रहे हैं कि कैंसर के इलाज के लिए एस्प्रिन की कितनी डोज काफी होगी. उत्तर पश्चिम इंग्लैंड की न्यूकैसल यूनिवर्सिटी में डॉक्टर जॉन बर्न कहते हैं, "रिसर्च पूरी होने तक डॉक्टरों को उन सभी मरीजों को एस्प्रिन देने पर विचार करना चाहिए जो कैंसर के खतरे की बहुत ज्यादा जद में हैं. लेकिन उन्हें कुप्रभावों से बचने के लिए विशेष ध्यान रखना होगा."

पिछले साल भी द लांसेट में एक रिसर्च छपी थी जिसमें पता चला था कि एस्प्रिन लेने से गुदा, प्रोस्टेट, फेफड़े, गले और मस्तिष्क के कैंसर के खतरे कम हो गए. गुदा के कैंसर का खतरा तो 20 साल में 40 फीसदी तक घट गया.

बहुत सारे डॉक्टर हार्ट अटैक और खून के दौरे से जुड़ी समस्याओं का खतरा कम करने के लिए एस्प्रिन की सलाह देते हैं. हालांकि हाल के सालों में एस्प्रिन के नियमित इस्तेमाल पर काफी बहस हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पेट के अल्सर और आंतरिक रक्त स्राव का खतरा बढ़ जाता है. एस्प्रिन एक सस्ती दवा है जिसे एक सदी पहले बायर नाम की कंपनी ने बनाया था.

रिपोर्टः रॉयटर्स/एएफपी/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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