एवरेस्ट के शिखर पुरुष का निधन
११ जनवरी २००८दुनिया की सबसे ऊंची चोटी यानी एवरेस्ट को फतह करने वाले पहले पर्वतारोही न्यूज़ीलैंड के सर एडमंड हिलेरी नहीं रहे। वो 88 साल के थे। वो कुछ समय से बीमार चल रहे थे। हिलेरी अपने अपार जीवट के साथ साथ नेपाली शेरपाओं की जिंदगी संवारने के लिए किए गए अपने कामों की वजह से भी याद किए जाते रहेंगे।
29 मई 1953, मनुष्य के साहस और हौसलों की गवाह एक तारीख है। जब मनुष्य ने हिमालय पर्वत के एवरेस्ट शिखर पर भी कदम रख दिए। इस बुलंद ऊंचाई के बाद तो फिर चांद पर पहुंचना ही बाकी रह गया था। 1969 में ये सपना भी साकार हो गया। एवरेस्ट की चढ़ाई ने तो फिर ऐसी अविश्वसनीय राहें खोल दीं जो समुद्र की अतल गहराईयों और आकाश के अनंत अंधकार को चीरतीं चली गयीं। एक पर्वत ही नहीं नापा गया धरती आसमान को नापने का सिलसिला चल पड़ा। 1953 के बाद से एवरेस्ट करीब चार हज़ार बार लांघा जा चुका है। लेकिन आगाज़ करने वाले थे न्यूज़ीलैंड के पर्वतारोही एडमंड हिलेरी और नेपाल के शेरपा तेनज़िंग नोरगे। 88848 फुट ऊंचे एवरेस्ट शिखर को पहली बार लांघकर आने वाले ये दोनों दिलेर अब नहीं हैं। तेनजिंग 1986 मे ही चल बसे और एडमंड हिलेरी का भी आज देहांत हो गया। लेकिन टीम वर्क की ये अद्भुत दास्तान आनेवाली दुस्साहसी कोशिशों का सबक बन गयी।
विनम्र स्वभाव के एडमंड हिलेरी ज़िंदगी भर टीम वर्क पर ज़ोर देते रहे। उनका कहना था कि तेनजिंग और वो एवरेस्ट न फतह कर पाते अगर वे एक टीम न होते। हिलेरी ने तेनज़िंग से मिली ऐतिहासिक मदद को कभी नहीं भुलाया. दुबले पतले हिलेरी एवरेस्ट से नीचे उतरे। उस वक्त उन्होंने कहा था हां हमने उस बदमाश का घमंड चूर चूर कर दिया। ये टिप्पणी अब पर्वतारोहण के इतिहास में हमेशा हमेशा के लिए दर्ज हो गयी है। इसके बाद हिलेरी अपनी कामयाबी को किनारे कर नेपाली शेरपाओ की ज़िंदगी संवारने में लग गए. शेरपाओं के बीच उन्हें पिता का दर्जा हासिल है। और ये समुदाय आज अपने पिता को याद नहीं करना भूला। उनकी याद में बौद्ध मठों में प्रार्थानाएं की गयी और उनके पुनर्जन्म की कामना की गयी।
अदम्य जीवट वाले हिलेरी ने एवरेस्ट के बाद 50 और 60 के दशक में हिमालय की दस और चोटियों पर भी चढ़ाई की। खोजी तबीयत के हिलेरी उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों की यात्रा पर भी गए। 19 जुलाई 1919 को जन्मे हिलेरी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पायलट भी रहे लेकिन बाद में उनकी पहचान पर्वतारोही के रुप में बनी. वो 1980 में भारत में न्यूज़ीलैंड के राज़दूत भी रहे। हिलेरी को 2003 में नेपाल की सम्मीनित नागरिकता दी गयी थी।