एयर फ्रांस हादसे की बरसी आज, सस्पेंस बरकरार
१ जून २०१०आज से ठीक साल भर पहले, एक जून 2009 को ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेइरो से एयर फ्रांस की फ्लाइट AF-447 पैरिस के लिए निकली. विमान में चालक दल के सदस्यों समेत 228 लोग सवार थे. रियो से उड़ान भरने के घंटे भर बाद ही विमान रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गया. दो दिन तक विमान का कोई सुराग नहीं मिला और तीसरे दिन समंदर में विमान के कुछ टुकड़े तैरते नज़र आए.
हादसे में सभी 228 लोगों की मौत हो गई. तीन महीने तक विमान के ब्लैक बॉक्स और फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर को ढूंढने की कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिली. पचास लोगों के शव और विमान की पूंछ के अलावा कुछ भी बरामद नहीं हो सका. अपनों को खोने वाले लोगों के जेहन में अब भी हादसे की टीस बरकरार है.
लोग जानना चाहते हैं कि आखिर दुनिया में सबसे सुरक्षित माने जाने वाले हवाई सफर का इतना दुखद अंत कैसे हुआ. पीड़ित परिवारों का कहना है, ''हमारा दुख अब और ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि हम नहीं जानते कि हमारे प्रिय लोगों ने जिंदगी के आखिरी पलों में क्या झेला.''
विमान में जर्मनी, फ्रांस, इटली और ब्राजील के लोग सवार थे. सोमवार रात पैरिस के नोत्रे दाम गिरजे में एक श्रद्धाजंलि सभा की गई. आज भी कई जगहों पर स्मृति संभाएं होनी हैं. उधर हादसे की जांच कर रही फ्रांसीसी संस्था का कहना है कि अब तक की खोजबीन में सवा करोड़ यूरो खर्च हो चुके हैं. यह साफ नहीं कहा जा रहा है कि जांच आगे भी जारी रहेगी या नहीं.
विमान का ब्लैक बॉक्स और फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर अब भी अटलांटिक महासागर में चार किलोमीटर की गहराई में छिपा है. पीड़ित परिवारों का यह भी आरोप है कि कुछ बातों को छिपाने के लिए जांच बंद की जा रही है. लोगों का मांग है कि हादसे की जांच फ्रांसीसी जांचकर्ताओं के बजाए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों से कराई जाए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य