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एयर इंडिया की फ्लाइट, करीब आते इस्राएल और सऊदी अरब

२३ मार्च २०१८

एयर इंडिया का कोई विमान पहली बार सऊदी वायुक्षेत्र से होते हुए इस्राएल की धरती पर उतरा है. इस्राएल के लिए शुरू की गई एयर इंडिया की यह उड़ान सऊदी अरब और इस्राएल के बीच बेहतर होते संबंधों का संकेत देती है.

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Fluggesellschaft Air India entlässt Stewardessen
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Antin

22 मार्च को जब एयर इंडिया की पहली उड़ान तेल अवीव के बेन गुरियन एयरपोर्ट पर उतरी तो इस्राएली परिवहन मंत्री ईस्रायल कात्स वहां मौजूद थे. उन्होंने कहा, "यह एक ऐतिहासिक पल है. पहली बार इस्राएल और सऊदी अरब के बीच कोई आधिकारिक संपर्क स्थापित हुआ है."

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एयर इंडिया की इस उड़ान का स्वागत करने के लिए इस्राएल के पर्यटन मंत्री यारिव लेविन भी एयरपोर्ट पर मौजूद थे. उन्होंने कहा, "एक नया युग शुरू हो गया है." हफ्ते में तीन बार एयर इंडिया के विमान सऊदी अरब से होकर इस्राएल आएंगे-जाएंगे. दशकों से इस्राएल जाने वाली व्यावसायिक उड़ानों के सऊदी वायुक्षेत्र का इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध रहा है, लेकिन एयर इंडिया की उड़ान के साथ अब यह खत्म हो गया है. इस्राएल की राष्ट्रीय एयरलाइन एल अल अभी मुंबई के लिए उड़ान भरती है. लेकिन वह सऊदी अरब और ईरान से ऊपर से उड़ने की बजाय लाल सागर के ऊपर वाली रूट लेती है.

अरब दुनिया के बहुत से देशों की तरह सऊदी अरब के भी इस्राएल के साथ आधिकारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं. सिर्फ मिस्र और जॉर्डन ही ऐसे देश हैं जिन्होंने इस्राएल के साथ शांति संधियां की हैं. हाल के समय में अरब देशों के साथ इस्राएल के संबंध बेहतर हुए हैं. इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू इन रिश्तों के "अब तक के सर्वोत्तम" रिश्ते कहते हैं. दरअसल इस्राएल और अरब देश, दोनों ही ईरान से खतरा महसूस करते हैं और यही बात उन्हें करीब ला रही है.

इस्राएल के साथ संबंधों को लेकर किसी अरब नेता ने सार्वजनिक बयान नहीं दिया है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे नेतान्याहू के दावे से सहमत नहीं हैं. दरअसल इसकी वजह घरेलू हैं. ज्यादातर अरब देशों में यहूदी राष्ट्र इस्राएल को हमेशा एक दुश्मन की तरह देखा जाता रहा है.

इस्राएली विश्लेषक जोनाथन स्पायर कहते हैं कि सऊदी अरब की तरफ से दी गई रियायत सकारात्मक संकेतों की तरफ इशारा करती है. ऐसा तब देखने को मिल रहा है जब इस्राएल और फलीस्तीनियों के बीच शांति संधि के फिलहाल आसार नहीं दिखते. लंबे समय तक अरब देश कहते रहे कि फलस्तीनी विवाद के हल की शर्त पर ही इस्राएल के साथ संबंध बेहतर हो सकते हैं.

स्पायर कहते हैं कि एयर इंडिया को सऊदी अरब के वायुक्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए इस्राएल आने की अनुमति देने का सऊदी अरब का फैसला छोटा सा फैसला लग सकता है लेकिन यह बहुत ही अहम है.

2017 में मध्य पूर्व दौरे में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप रियाद से तेल अलीव गए थे. ट्रंप का कहना है कि वह इस्राएल और फलस्तीनियों के बीच शांति समझौते पर काम कर रहे हैं. स्पायर का कहना है कि अमेरिकी प्रशासन इस्राएल और फलस्तीनियों के विवाद में सऊदी अरब को बहुत अहमियत दे रहा है. दूसरी तरफ सुन्नी बहुल सऊदी अरब और यहूदी राष्ट्र इस्राएल का साझा दुश्मन शिया बहुल ईरान है. दोनों ही मध्य पूर्व में ईरान के बढ़ते असर को कम करना चाहते हैं.

एके/एमजे (एएफपी)