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एप्पल सैमसंग की जंग में जूरी तय

३१ जुलाई २०१२

एंड्रॉयड को जड़ से मिटा देने की ख्वाहिश रखने वाले स्टीव जॉब्स की एप्पल ने सैमसंग के खिलाफ जो मुकदमा किया है, उसके लिए जूरी तय हो गई है. दो महाकंपनियों की कानूनी जंग से अब दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी तय होगी.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

पेटेंट पर उपजे विवाद के बाद अमेरिका में कैलिफोर्निया की सैन जोस अदालत में मुकदमा चल रहा है. जूरी में एक बेरोजगार, एक गृहिणी और एक मैकेनिकल इंजीनियर को चुना गया है. जबकि तकनीक की अच्छी खासी समझ रखने वाले कई लोगों के नाम खारिज कर दिए गए. 10 सदस्यों वाली जूरी में तीन महिलाएं और सात पुरुष हैं. इनमें से चार का जन्म अमेरिका से बाहर हुआ है.

जिन लोगों को पैनल से हटा दिया गया, उनमें से एक एप्पल का कर्मचारी था, एक गूगल में काम करता था और एक इंटरफेस डिजाइनर था. एप्पल ने डिजाइनर को हटाने का विरोध किया लेकिन उनकी एक न चली.

किसने की डिजाइन चोरी

एप्पल ने पिछले साल आरोप लगाया कि दुनिया की सबसे बड़ी तकनीक कंपनी सैमसंग जो स्मार्टफोन और टैबलेट कंप्यूटर बना रही है, वह सीधे सीधे एप्पल के डिजाइन की चोरी है. एप्पल ने इसके लिए 2.5 अरब डॉलर का हर्जाना मांगा है. अगर उसकी बात मान ली गई, तो यह पेटेंट के मामले का सबसे बड़ा फैसला साबित होगा.

Steve Jobs
तस्वीर: AP

दूसरी तरफ दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग का दावा है कि चोरी तो एप्पल ने की है और वह जो अपने प्रोडक्ट का चौकोर डिजाइन बना रहा है, वह फोन उद्योग में बरसों से चला आ रहा है. उसका कहना है कि आईफोन दरअसल सोनी के प्रोडक्ट की नकल है. सैमसंग के वकील का कहना है कि सोनी 1991 से मोबाइल फोन बना रही है, जबकि एप्पल 2007 में इस जंग में कूद पड़ा.

दोनों कंपनियों ने इस अदालती जंग में जान लगा दी है. शुरुआती बयान मंगलवार से ही लिए जाने लगेंगे. केस की शुरुआत में अदालत में 70 लोग जमा थे, जिनसे पूछा गया कि क्या वे या उनके रिश्तेदार एप्पल, गूगल, मोटोरोला या सैमसंग में तो काम नहीं करते. गूगल सीधी तरह से इस मामले से नहीं जुड़ा है लेकिन सैमसंग के प्रोडक्ट में गूगल का डेवलप किया गया एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम लगा है. इसके अलावा हाल ही में गूगल ने मोटोरोला को भी खरीद लिया है.

आखिरी दम तक लड़ाई

एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स को एंड्रॉयड से नफरत थी. उनका कहना था कि यह सरासर चोरी है. वॉल्टर इजकसन ने उनकी जीवनी में जॉब्स के हवाले से लिखा है, "मैं अपनी जिन्दगी की आखिरी सांस लगा दूंगा और जरूरत पड़ी तो एप्पल के 40 अरब डॉलर का एक एक पैसा इसमें झोंक दूंगा ताकि इस गलत को सही किया जा सके."

मामले की सुनवाई करते हुए अमेरिकी जिला जज लूसी कोह ने जूरी को संबोधित करते हुए कहा, "अगर आपको इसका जूरी बनाया जाता है, तो यह एक दिलचस्प मामला होगा." जब उनसे पूछा गया कि उन्हें इस मामले की जानकारी कैसे है, तो कइयों ने इस बात को माना कि उन्होंने स्टीव जॉब्स की जीवनी पढ़ी है. स्टीव जॉब्स का पिछले साल निधन हो गया है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

दुनिया भर में जंग

दुनिया भर की कई अदालतों में एप्पल और सैमसंग के बीच कानूनी लड़ाई चल रही है. स्मार्टफोन और टैबलेट कंप्यूटर बनाने वाली ये दो सबसे बड़ी कंपनियां हैं. हालांकि ऑस्ट्रेलिया और यूरोप की अदालतों में दोनों कंपनियों के हक में फैसले गए हैं लेकिन अमेरिका में सैमसंग बैकफुट पर दिखती है.

यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया में पेटेंट मामलों के प्रोफेसर आर पोल्क वागनर का कहना है कि 1980 के बाद से यह पेटेंट का सबसे बड़ा मामला दिखता है. तब फोटो कंपनियों पोलारॉयड और कोडक के बीच जंग चली थी. उनका कहना है कि ताजा मामले में विशालकाय रकम लगी है और यह दूसरे मामलों के लिए मिसाल साबित हो सकता है, "मुझे लगता है कि स्मार्टफोन के कई आने वाले मामलों का यह पहला मामला है. यह देखना दिलचस्प होगा कि अगर एप्पल जीतता है तो क्या होता है क्योंकि वैसी सूरत में भी सैमसंग को प्रोडक्ट बनाने से नहीं रोका जा सकता."

किसकी होगी जीत

लेकिन अगर सैमसंग वाकई हार जाता है, तो उसे भारी झटका लगेगा. उसके प्रोडक्ट की बिक्री पर रोक लग सकती है. और उसके बाद अगर सैमसंग मामूली बदलाव के बाद फिर बाजार में आता है, तो एप्पल उसे फिर से अदालत में घसीट सकता है.

एक सर्वे में पता चला है कि इस साल अप्रैल से जून के बीच सैमसंग ने पांच करोड़ से ज्यादा स्मार्टफोन बाजार में निकाले हैं, जबकि एप्पल ने इस दौरान लगभग सवा तीन करोड़ आईफोन बेचे हैं. इस तरह सैमसंग का बाजार के 32.6 फीसदी पर कब्जा है, जबकि एप्पल का 16.9 प्रतिशत पर.

एजेए/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स, एपी)

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