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एनआरसी मसौदे के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं: सु्प्रीम कोर्ट

३१ जुलाई २०१८

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे के आधार पर किसी को डिपोर्ट नहीं किया जा सकता या किसी पर मुकदमा नहीं चलाया नहीं किया जा सकता.

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Indien Assam Sicherheitskräfte vor dem NRC Gebäude
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/D. Talukdar

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मसौदे के आने के बाद हो रही बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सोमवार को प्रकाशित सूची के आधार पर किसी भी प्राधिकारी द्वारा किसी भी प्रकार की दंडात्मक-प्रतिरोधक कार्रवाई नहीं की जा सकती.  महान्यायवादी केके वेणुगोपाल द्वारा मामले की गंभीरता का उल्लेख करने के बाद न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति रोहिंग्टन फली नरीमन की खंडपीठ ने कहा, "जो प्रकाशित हुआ है वह संपूर्ण एनआरसी मसौदा है. यह किसी भी प्राधिकारी द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई का आधार नहीं बन सकता."
एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि एनआरसी मसौदा जनता के लिए सात अगस्त तक उपलब्ध रहेगा, जिससे वे सितंबर के अंत तक अपने दावे और आपत्तियां दायर कर सकें. इसमें प्रदेश के करीब 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं हैं.

Indien Assam Registrierung  National Register of Citizens
तस्वीर: Reuters/A. Hazarika

इस बीच राज्य सभा की कार्यवाही मंगलवार को असम एनआरसी मुद्दे के कारण बार-बार बाधित हुई. विपक्षी सदस्यों के अनुरोध पर प्रश्नकाल स्थगित कर असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर चर्चा शुरू की गई. बाद में विपक्ष द्वारा भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह की टिप्पणी पर विरोध के कारण दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई. शाह ने विपक्ष पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.
शाह ने कहा, "असम समझौते पर आपके प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 14 अगस्त, 1985 को हस्ताक्षर किए थे. उन्होंने अगले दिन अपने भाषण में लाल किले से इसकी घोषणा की थी. समझौते की भावना एनआरसी थी, जो बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने में मदद करेगी. (आईएएनएस)