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एक साल में कितना बदला मलेशिया

९ मई २०१९

मानवाधिकारों का हनन करने वाले पुराने कानूनों को बदलने के वादे के साथ मई 2018 में मलेशिया में नई सरकार बनी थी. एक साल बाद उनका क्या हाल है और क्या वाकई कुछ बदला है?

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Mahathir Mohamad Malaysia
तस्वीर: AFP/Getty Images/Manan Vatsyayana

9 मई 2018 को हुए पिछले आम चुनाव में प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक हारे और मलेशिया में नए प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कमान संभाली. लेकिन एक साल बाद महातिर मोहम्मद की सरकार को आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं. जिन दमनकारी कानूनों को बदलने और मानवाधिकार की स्थिति सुधारने के वादों के साथ वे सत्ता में आए थे, उन्हें पूरा नहीं करने से जनता नाराज है.

मलेशिया में एक साल से एक बार फिर अनुभवी और दुनिया के सबसे उम्रदराज राष्ट्र प्रमुख महातिर मोहम्मद के नेतृत्व वाली सरकार है. सन 1957 में ब्रिटिश शासन से देश की आजादी के बाद 1981 से लेकर 2003 तक भी मलेशिया में उनकी ही सरकार थी. उनके बाद सत्ता में आई सरकारों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे. पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक के नौ सालों के शासनकाल में उन पर 1 मलेशिया डेवलपमेंट बरहाद का सरकारी फंड लूटने समेत भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे.

इसी के चलते 2018 में महातिर मोहम्मद के नेतृत्व में पैक्ट ऑफ होप एलायंस बना, जिसने शपथ ली कि वे देश को औपनिवेशिक काल की बुराइयों से बाहर निकालेंगे. वहां अब भी देशद्रोह का कड़ा कानून है, जिसका राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए गलत इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे कानून भी हैं जिनके अनुसार किसी व्यक्ति को सुनवाई का मौका दिए बिना अनिश्चितकाल के लिए हिरासत में रखा जा सकता है. ये कानून अब भी जस के तस हैं.

Malaysia: Ex-Premier Najib Razak festgenommen
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Rasfan

मृत्युदंड खत्म करने के अपने वादे से तो प्रशासन चुनाव के बाद ही मुकर गया था. महातिर ने सत्ता में आने पर अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत से जुड़ने की बात की थी लेकिन बाद में विरोध प्रदर्शनों के चलते इससे भी पलट गए. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच के उप एशिया निदेशक, फिल रॉबर्टसन कहते हैं, "सरकार को समझना चाहिए कि ऐसे अपमानजनक तरीकों और कानूनों को हटाने में और देरी करने का मतलब मलेशियाई लोगों को और नुकसान पहुंचाना है."

महातिर मोहम्मद को सन 1981 से लेकर 2003 तक के उनके पहले शासनकाल में निरंकुश राज के लिए जाना जाता है. अब भी वे यह कह रहे हैं कि देश का बहुमत इन सुधारों के समर्थन में नहीं है. एक प्रेस कांफ्रेंस में 93 साल के महातिर मोहम्मद ने कहा, "यह एक लोकतांत्रिक देश है. लोगों के विचार अलग हैं. हमें उनके विचारों का सम्मान करना है." उन्होंने कहा, "ये उन लोगों का मानवाधिकार है कि वे उन चीजों का विरोध करें जो उन्हें अच्छी न लगती हों."

चुनाव जीतने के बाद से लगातार नई सरकार की लोकप्रियता में गिरावट देखी गई है. आलोचकों का मानना है कि नई सरकार ने जनता का जीवन सुधारने की कोशिशें नहीं की हैं और इसी लिए एक एक करके कई स्थानीय चुनाव हारते गए हैं.

आरपी/एमजे (एएफपी)

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