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उर्जित पटेल के इस्तीफे से मंहगा हो सकता है कर्ज

११ दिसम्बर २०१८

भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच में दो महीने तक चली खींचतान गवर्नर उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे के बाद रुक गई है. लेकिन रिजर्व बैंक की साख पर अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की नजर है.

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Indien Urjit Patel vertreter der Reserve Bank of India bei Pressekonferenz
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui

दो महीने पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के उप गवर्नर विरल आचार्य ने एक भाषण में ये साफ कहा था कि जो सरकार अपने केंद्रीय बैंक की आजादी का सम्मान नहीं करती वो आज या कल वित्तीय बाजार की प्रतिक्रिया को हवा देगी. इस भाषण के बाद भारत सरकार और आरबीआई के बीच खींचतान खुलकर सामने आ गई. अब कुछ हफ्ते बाद आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया.

1990 के दशक में आर्थिक सुधारों के शुरू होने के बाद उर्जित पटेल केंद्रीय बैंक के पहले ऐसे गवर्नर है जिन्होंने इस्तीफा दिया है. जानकारों का मानना है कि आरबीआई अपनी स्वायत्तता को लेकर अत्यंत चिंतित है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में गवर्नर नियुक्त रघुराम राजन का भी नरेंद्र मोदी की सरकार के साथ कुछ खास अच्छा रिश्ता नहीं था और इसलिए राजन का कार्यकाल बढ़ाया नहीं गया था. रघुराम राजन ने कहा है कि "उर्जित पटेल के इस्तीफे से भारत के हर नागरिक को चिंतित होना चाहिए. हम को ये पता करना चाहिए कि ऐसा क्या हो गया कि उर्जित पटेल ने ऐसा फैसला लिया."

आगे क्या होगा?

आरबीआई के पूर्व डायरेक्टर विपिन मलिक का कहना है कि सरकार हमेशा से आरबीआई के कामकाज में दखलअंदाजी करती रही है. उन्होंने डॉयचे वेले से एक इंटरव्यू में कहा, "उर्जित पटेल के इस्तीफे का सीधा असर भारत की रेटिंग पर पडेगा. अभी हमारी रेटिंग बीबीबी है और जैसे ही रेटिंग कम होती है ब्याज दर बढ़ जाती है, ऐसा कॉन्ट्रेक्ट में लिखा हुआ होता है. इससे देश को नुकसान होगा." रेटिंग इसलिए महत्वपूर्ण होता है कि आईएमएफ, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक या दूसरे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान इसी के आधार पर देशों के केंद्रीय बैंकों को कर्ज देते हैं.

भारत की वित्तीय नियामक संस्था सेबी के पूर्व कार्यकारी निदेशक जेएन गुप्ता का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार इस घटना को नकारात्मक तरीके से देखेगा और इसका असर तब तक रहेगा जब तक सरकार नया आरबीआई गवर्नर नियुक्त नहीं कर देती. उनका कहना है, "इसके बाद कौन गवर्नर बनता है और कितनी पारदर्शिता आती है इस पर अंतरराष्ट्रीय बाजार की नजर रहेगी."

आरबीआई की अगली बोर्ड बैठक 14 दिसंबर को है और अगर तब तक नए गवर्नर की नियुक्ति नहीं होती है तो आरबीआई के वरिष्ठ डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन बैठक की अध्यक्षता करेंगे.

रिपोर्ट- निधि राय

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