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उमर को सर्वदलीय समिति से अच्छे नतीजे की उम्मीद

२४ सितम्बर २०१०

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को उम्मीद है कि सर्वदलीय समिति के कश्मीर दौरे के बाद केंद्र सरकार से सभी मुद्दों पर बातचीत होगी और अच्छे नतीजे आएंगे. अलगाववादी नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र के बयान का स्वागत किया.

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तस्वीर: UNI

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को उम्मीद है कि केंद्रीय सर्वदलीय शिष्टमंडल का दौरा केंद्र सरकार और कश्मीरी लोगों के बीच की दूरी को कम करेगा. मुख्यमंत्री ने कहा, "हमें सकारात्मक नतीजों की उम्मीद है. सर्वदलीय नेताओं के कश्मीर दौरे का हम स्वागत करते हैं, विवादों को हल करने के लिए आपसी बातचीत बेहद जरूरी है." मुख्मंत्री ने ये बातें डोडा और किश्तवाड़ जिला नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों से कही.

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तस्वीर: UNI

उमर को उम्मीद है कि सर्वदलीय कमेटी केंद्र सरकार को उचित सुझाव देगी और सरकार उस पर तेजी से कार्रवाई करेगी. पिछले दिनों कश्मीर में हुई हिंसा में लगभग 100 लोगों की जानें जाने पर मुख्यमंत्री ने गहरा दुख जताया और कश्मीरी जनता से अपील की कि वह सरकार के साथ सहयोग करें. उमर ने शांति और स्थायित्व को राज्य के आर्थिक और राजनीतिक विकास, दोनों के लिए जरूरी बताया. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह केंद्र और कश्मीर के लोगों के बीच बातचीत को बढ़ावा देने के लिए वचनबद्ध हैं. इसके साथ ही वह सभी मुद्दों का ऐसा हल चाहते हैं जो दोनों पक्षों को मंजूर हो.

उधर अलगाववादी नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र के उस बयान का स्वागत किया है जिसमें भारतीय सेना से संयम बरतने की अपील की गई है. हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारूक और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता यासीन मलिक ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के कश्मीर पर दिए बयान का स्वागत किया. बान की मून ने कश्मीर में प्रदर्शनकारियों से निपट रही सेना को संयम बरतने की सलाह दी है.

अलगाववादी नेता मीरवाइज ने कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र महासचिव के बयान का स्वागत करते हैं और हमें उम्मीद है कि बान की मून अपने अधिकार का इस्तेमाल करके कश्मीर में जारी हिंसा और कर्फ्यू को रोकने में मदद करेंगे." उधर यासीन मलिक ने कहा, " यह जानना सुखद है कि आखिरकार कश्मीर में हो रहे अन्याय पर दुनिया की ताकतों की नींद टूट गई है." कश्मीर में पिछले तीन महीने से चले आ रहे विरोध प्रदर्शनों में 100 से ज्यादा लोगों की जान गई है. ज्यादातर लोग पुलिस की गोली का शिकार हुए हैं और उनमें भी युवाओं की तादाद सबसे ज्यादा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए कुमार

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