उत्तर कोरिया ने की ओबामा की आलोचना
९ अप्रैल २०१०उत्तर कोरियाई विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने नई अमेरिकी परमाणु नीति पर टिप्पणी करते हुए कहा, "जब तक अमेरिकी परमाणु ख़तरा बना हुआ है, डीपीआरके (उत्तर कोरिया) भयादोहन के रूप में विभिन्न प्रकार के परमाणु हथियारों को बढ़ाएगा और समुन्नत करेगा."
मंगलवार को घोषित अपनी नई परमाणु रणनीति में ओबामा प्रशासन ने कहा कि वह उन देशों के ख़िलाफ़ परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं करेगा जिनके पास ऐसे हथियार नहीं हैं और जो परमाणु अप्रसार संधि का पालन करते हैं.
उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों के ख़िलाफ़ अमेरिका ने सभी विकल्प खुले रखे हैं. अमेरिका का कहना है कि ये देश परमाणु अप्रसार संधि का हनन कर रहे हैं. उत्तर कोरिया पहले इस संधि में शामिल था लेकिन 2003 में उसने संधि छोड़ दी थी और तब से उसने दो परमाणु परीक्षण किए हैं.
उत्तर कोरियाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है, यह साबित करता है कि डीपीआरके के प्रति वर्तमान अमेरिकी नीति बुश प्रशासन की वैमनस्यपूर्ण नीति से किसी तरह अलग नहीं है. उत्तर कोरिया का कहना है कि नई अमेरिकी नीति ने परमाणु निरस्त्रीकरण पर छह देशों की रुकी वार्ता को फिर से शुरू करने के माहौल को फिर से ठंडा कर दिया है.
उत्तरी कोरिया और दक्षिण कोरिया के अलावा इस दल में अमेरिका, जापान, रूस और चीन शामिल हैं. छह देशों के गुट की अंतिम वार्ताएं दिसम्बर 2008 में हुई थीं. अप्रैल 2009 में उत्तर कोरिया ने वार्ता से बाहर निकलने की घोषणा की और एक महीने बाद ही दूसरा परमाणु परीक्षण किया. वार्ता की मेज पर फिर से लौटने के लिए वह चाहता है कि अमेरिका उसके साथ औपचारिक शांति वार्ता पर बात करे और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध उठाए जांए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य