एक उम्मीदवार और 100 फीसदी वोटिंग
१४ मार्च २०१९उत्तरी कोरिया पर किम परिवार का 1948 से राज चल रहा है. 1948 से 1994 तक किम सुंग-2, 1994 से 2011 तक किम जोंग इल और 2011 के बाद से किम जोंग उन का शासन उत्तरी कोरिया में चल रहा है. लेकिन वहां सुप्रीम पीपुल्स एसेंबली (एसपीए) के लिए बाकयदा चुनाव होते हैं.
संसदीय चुनावों में सभी के लिए मतदान करना जरूरी होता है. इसीलिए हमेशा मतदान 100 प्रतिशत के आसपास ही होता है. साल 2014 में एसपीए के लिए हुए चुनावों में 99.97 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस बार यह संख्या बढ़कर 99.99 प्रतिशत हो गई है. जो लोग मतदान नहीं कर पाए वो या तो विदेश में थे या फिर समुद्री नौकरियां करने वाले लोग हैं. उत्तरी कोरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी केएनसीए ने यह जानकारी दी है.
सुप्रीम पीपुल्स एंबेसी एक रबर स्टांप संस्था की तरह काम करती है. इसके पास कोई फैसला लेने का अधिकार नहीं है. यह बस किम जोंग उन के हर फैसले का समर्थन करती है. एसपीए में 687 सदस्य इस चुनाव के बाद चुने गए हैं. इन 687 सदस्यों में किम जोंग उन का नाम नहीं है. 2014 में हुए चुनावों में माउंट पैक्टू सीट से किम का नाम था. इस बार किम का नाम इस लिस्ट में नहीं है. किम की छोटी बहन किम यो जोंग की नाम इस बार जीते हुए प्रत्याशियों की लिस्ट में है.
सबसे खास बात यह है कि बैलेट पेपर पर बस एक प्रत्याशी का नाम होता है. वोटर्स के पास उम्मीदवारों की कोई पसंद नहीं होती है. बस एक उम्मीदवार होता है और सभी को उसे ही वोट देना पड़ता है. ऐसे में हर उम्मीदवार 100 प्रतिशत वोटों से जीतता है. और तब भी कोरिया में एक नहीं तीन राजनीतिक पार्टियां हैं. पहली, वर्कर्स पार्टी जो किम जोंग उन की पार्टी है. ये सबसे बड़ी पार्टी है. दूसरी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी और तीसरी चॉन्डोइस्ट चोंगू पार्टी है. ये तीनों पार्टियां मिलकर एक गठबंधन में हैं. इस गठबंधन का नाम डेमोक्रेटिक फ्रंट फॉर दी रियूनिफिकेशन ऑफ कोरिया है.
उत्तरी कोरिया का 17 साल की उम्र से ज्यादा का हर नागरिक इन चुनावों में मतदान करता है. मतदान के बाद सबका जश्न मनाना जरूरी होता है. यह जश्न ये दिखाने के लिए होता है कि वोटर्स चुनाव प्रक्रिया से खुश हैं और अपने मतदान की खुशी मना रहे हैं.
आरएस/एके (रॉयटर्स, एएफपी)