उइगुरों की रिहाई के चीनी दावे पर सवाल
३१ जुलाई २०१९चीन ने दावा किया है कि शिनचियांग प्रांत में स्थित बड़े हिरासत केंद्र में रखे गए अधिकांश लोगों को वापस उनके घरों में भेज दिया गया है. यह जानकारी प्रांत के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी. हालांकि, उन्होंने इस बात की जानकारी देने के इनकार कर दिया कि पिछले कुछ सालों में कितने लोगों को हिरासत केंद्रों में रखा गया था. चीन के इस दावे पर अमेरिका ने सवाल उठाए हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि शिनचियांग सरकार के उपाध्यक्ष अलकेन टुनियाज द्वारा किए गए दावे का कोई सबूत नहीं है. प्रवक्ता ने कहा कि बीजिंग को टुनियाज द्वारा किए गए दावे की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त को उस जगह पर जाने की अनुमति देनी चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि पश्चिमी चीन में बनाए गए हिरासत केंद्रों में कम से कम 10 लाख उइगुर और अन्य अल्पसंख्यक समूह खासकर मुस्लिमों को रखा गया है. हालांकि बीजिंग इन केंद्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र बताते हुए कहता है कि यहां लोगों को धार्मिक कट्टरता वाले सोच से बाहर निकाला जाता है और नए काम करने का प्रशिक्षण दिया जाता है. टुनियाज ने बीजिंग में हिरासत केंद्रों में रखे गए लोगों की संख्या के बारे में पूछने पर कहा कि यह संख्या घटती-बढ़ती रहती है. यहां लाए गए अधिकांश लोगों ने "रोजगार प्राप्त किया था." उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, वे अपने घर या समाज में वापस लौट चुके हैं. कुछ देश या मीडिया संस्थान गलत उद्देश्य से केंद्र को लेकर चीन की निंदा करते हैं.
चीन ने हिरासत केंद्रों में भेजे गए लोगों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं दी है. साथ ही अधिकारियों ने स्वतंत्र जांचकर्ताओं के हिरासत केंद्रों तक जाने के अधिकार को सीमित कर दिया है. ऐसी स्थिति में शोधकर्ताओं ने विभिन्न तरीकों से हिरासत केंद्रों में रखे गए लोगों की संख्या के बारे में अनुमान लगाया है. इन उपायों में सरकारी खरीद दस्तावेज की समीक्षा और सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है. विदेशी पत्रकारों ने वहां रह चुके लोगों से उनका अनुभव जाना और तार बाड़ व वॉच टावरों से घिरे हिरासत केंद्र की तस्वीरें खींची हैं.
पश्चिमी देशों द्वारा हिरासत केंद्रों की आलोचना के बावजूद, बीजिंग ने यह नहीं माना है कि वह क्षेत्र में कट्टरता समाप्त करने का कार्यक्रम चला रहा है, जो जातीय हिंसा से ग्रस्त है. अधिकारियों ने कुछ स्थानों पर पत्रकारों और राजनयिकों के लिए जाने के लिए काफी निर्देशों के साथ व्यवस्था की. चीन की सरकार कहती है कि केंद्रों में प्रशिक्षुओं को पूरे अधिकार दिए गए हैं. साथ ही यह भी कहा गया है कि समय के साथ कम लोगों को केंद्रों में भेजा जाएगा. सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि वह धार्मिक अधिकारों और मानवाधिकारों का हनन करती है.
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो ने चीन द्वारा उइगुर और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ किए जा रहे व्यवहार को "सदी का दाग" बताया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "हम मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई के बारे में वरिष्ठ चीनी अधिकारियों द्वारा किए गए दावों को सत्यापित करने में असमर्थ हैं. इन दावों की पुष्टि के लिए चीनी सरकार को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त को सभी केंद्रोंऔर सभी बंदियों के पास जाने और उनसे मिलने की इजाजत देनी चाहिए."
आरआर/ओएसजे (रॉयटर्स)
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