ईशनिंदा पर ब्रिटिश नागरिक को फांसी
२४ जनवरी २०१४पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक मोहम्मद असगर को 2010 में रावलपिंडी के गैरिसन शहर से गिरफ्तार किया गया था. असगर ने पैगम्बर होने का दावा करते हुए पत्र लिखे थे. उन दावों के बाद पुलिस ने असगर को गिरफ्तार किया. रावलपिंडी की अदियाला जेल के भीतर विशेष कोर्ट ने बचाव पक्ष की वह दलील खारिज कर दी जिसमें दावा किया गया कि आरोपी की दिमागी हालत ठीक नहीं है.
65 वर्षीय असगर रावलपिंडी की अदियाला जेल में कैद है. ईशनिंदा या पैगम्बर मोहम्मद का अपमान पाकिस्तान में बहुत संवेदनशील मुद्दा है जहां 18 करोड़ से ज्यादा की आबादी में 97 फीसदी मुसलमान हैं. मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले लोग इस कानून में सुधार की मांग कर रहे हैं. मानवाधिकार से जुड़े संगठनों का कहना है कि बदले की भावना से इस कानून का इस्तेमाल किया जाता है. सरकारी वकील जावेद गुल ने कोर्ट के बाहर पत्रकारों को बताया, "असगर ने कोर्ट में भी पैगम्बर होने का दावा किया. उसने जज के सामने यह बात कबूली." इस्लाम के मुताबिक पैगम्बर मोहम्मद खुदा के आखिरी दूत थे. ईशनिंदा को लेकर पाकिस्तान में सख्त कानून है. अगर आरोपी पर दोष साबित हो जाता है तो उसे मौत की सजा हो सकती है. लेकिन देश में नागरिकों की फांसी पर 2008 से आम तौर पर रोक है. उसके बाद सिर्फ एक दोषी को फांसी पर चढ़ाया गया.
दिमागी हालत ठीक नहीं
गुल के मुताबिक कोर्ट ने असगर पर दस लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया. केस से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि असगर के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लंबा इतिहास रहा है. 2003 में असगर का इलाज स्कॉटलैंड के अस्पताल में हो चुका है. पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों की संवेदनशीलता को देखते हुए इस सूत्र ने अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहा और कहा कि असगर ने जेल में खुदकुशी करने की कोशिश की थी.
कोर्ट ने असगर के ब्रिटिश मेडिकल रिकॉर्ड को भी नामंजूर कर दिया. बचाव पक्ष के असगर की मानसिक स्थिति को लेकर दावों के बाद मेडिकल बोर्ड ने उसकी जांच की. गुल के मुताबिक बोर्ड ने उसे "एक सामान्य व्यक्ति के रूप में पाया."
साल 2012 में ईसाई समुदाय की रिम्शा मसीह को ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इस गिरफ्तारी के बाद दुनिया भर में ईशनिंदा कानून को लेकर चिंता जताई गई थी. बाद में लड़की पर लगे आरोप वापस ले लिए गए. साल 2013 में रिम्शा अपने परिवार के साथ कनाडा चली गई. पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप साबित नहीं होने पर भी हिंसक सार्वजनिक प्रतिक्रिया भड़क सकती है.
एए/एमजी (एएफपी/एपी)