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इस्राएली कोशिशों के बावजूद बढ़ती फलस्तीनी हिंसा

१५ अक्टूबर २०१५

इस्राएल की कोशिशों के बावजूद येरूशलेम में भड़की हिंसा के फलस्तीनियों के नए व्यापक विद्रोह में बदलने का खतरा है. फलस्तीनी इलाकों की नाकेबंदी के फैसले के बावजूद शहर में चाकूओं के और हमले हुए हैं.

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Israel Jerusalem Angriff Damaskus-Tor
तस्वीर: picture alliance/ZUMA Press/M. Abu Turk

बेथलेहम और फलीस्तीनी इलाकों में तीन हफ्ते से चल रही हिंसा को रोकने में विफलता के बाद अमेरिका ने कहा है कि विदेश मंत्री जॉन केरी तनाव को कम करने के लिए मध्यपूर्व का दौरा करेंगे. उपद्रवों के कारण तीसरे फलस्तीनी इंतिफादा का खतरा पैदा हो गया है. पहला और दूसरा इंतिफादा 1987-1993 और 2000-2005 तक चला था, जिसमें रोजाना होने वाली हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए थे.

बुधवार को पहला हमला तब हुआ जब हेब्रोन के एक 20 वर्षीय फलस्तीनी ने कथित रूप से ओल्ड सिटी में एक सुरक्षा गार्ड को चाकू मारने की कोशिश की लेकिन उसे पहले ही गोली मार दी गई. दूसरे मामले में एक 23 वर्षीय फलस्तीनी ने सेंट्रल बस डिपो के निकट एक 70 साल की महिला को चाकू मार कर घायल कर दिया. पुलिस ने इस हमलावर को गोली मार दी. भीड़ में एक फलस्तीनी द्वारा गाड़ी घुसा देने की एक घटना में एक इस्राएली मारा गया.

प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू पर हिंसा को रोकने का भारी दबाव है, लेकिन फलस्तीनी युवा शांति बहाल करने की कोशिशों को नाकाम कर रहे हैं. पुलिस ने कहा है कि गश्त में उनकी मदद के लिए सेना के 300 जवान भी शामिल हो रहे हैं. सरकार ने हिंसा को रोकने के लिए इस्राएलियों के लिए हथियार कानून में ढील देने और हमलावरों का रिहायशी लाइसेंस वापस लेने जैसे सख्त कदमों की घोषणा की है. नेतन्याहू की सुरक्षा कैबिनेट ने येरूशलेम के कुछ हिस्सों को सील करने या कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया है. उसके बाद शहर में चेक प्वाइंट बनाए गए हैं.

हिंसा शुरू होने के बाद अपने पहले भाषण में फलस्तीनी राष्ट्रपति मबमूद अब्बास ने कहा है कि वे इस्राएल के खिलाफ शांतिपूर्ण और लोकप्रिय संघर्ष का समर्थन करते हैं. फलस्तीनियों द्वारा चाकू से किए जाने वाले हमलों के कारण इस्राएलियों में भय व्याप्त है.

ताजा उपद्रव में कम से कम 7 इस्राएली मारे गए हैं जबकि 30 फलस्तीनियों ने जान गंवाई हैं जिनमें कुछ हमलावर भी हैं. हमले की वजह से इस्राएलियों में गुस्सा है तो कथित हमलावरों को गोली मारने की तस्वीरों के इंटरनेट में फैलने के बाद फलस्तीनियों की नाराजगी बढ़ गई है.

येरूशलेम में बढ़ती हिंसा के बीच भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस्राएल और फलस्तीनी इलाकों के दौरे पर हैं जहां उन्होंने वरिष्ठ इस्राएली नेताओं से मुलाकात की है. भारत परंपरागत रूप से फलस्तीनी मांगों का समर्थन करता रहा है, लेकिन पिछले दशकों में इस्राएल के साथ उसके रिश्तों में गर्माहट आई है. 1999 से भारत इस्राएली हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है. प्रणब मुखर्जी इस्राएल का दौरा करने वाले पहले भारतीय राष्ट्रपति हैं.

एमजे/आरआर (एएफपी)