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इस्तीफा देकर क्या सत्ता में रहना चाहते हैं महाथिर

राहुल मिश्र
२५ फ़रवरी २०२०

मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने आखिर किन परिस्थितियों में इस्तीफा दिया. क्या इस इस्तीफे के दम पर सत्ता में अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहते हैं महाथिर?

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Malaysia Putrajaya | Ministerpräsident Mahathir reicht seinen Rücktritt ein
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/V. Thian

मई 2018 में हुए 14वें आम चुनाव के बाद से ही मलेशिया में ये बात रोजमर्रा की बातचीत का हिस्सा रही है कि देश की राजनीति किस करवट बैठेगी. इन सुगबुगाहटों की वजह यह थी की चुनावों में छः दशकों से एकछत्र राज कर रही यूएमएनओ और उसके भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे प्रधानमंत्री नजीब रजाक की करारी हार हुई और विपक्षी नेता अनवर इब्राहिम का पकातान हरापान गठबंधन सत्ता में आया.

इसमें दिलचस्प बात यह थी कि एक समय अनवर के राजनीतिक गुरु और बाद में प्रतिद्वंदी रहे भूतपूर्व प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद लंबे राजनीतिक संन्यास के बाद सत्ता पर प्रधानमंत्री बन कर काबिज हुए, हालांकि उनकी पार्टी बरसातू के पास पर्याप्त सीटें नहीं थी. प्रधानमंत्री बनते वक्त महाथिर ने देश में स्थिरता लाने के उद्देश्य से कुछ महीने तक इस पद पर बने रहने की मंशा व्यक्त की थी.

Malaysia langjähriger Oppostionsführer Anwar Ibrahim erringt Parlamentssitz
तस्वीर: Reuters/Lai Seng Sin

अनवर और उनकी पार्टी पीकेआर ने इस मसौदे को स्वीकृति दी और यह माना गया कि अनवर उपचुनावों में जीत कर आने के बाद प्रधानमंत्री बनेंगे. समझौते के तौर पर अनवर की पत्नी वान अजीजा को उप-प्रधानमंत्री भी बनाया गया. 

अनवर ने चुनाव जीता तो महाथिर पर दबाव भी बढ़ा और तमाम कयास के बाद उन्होंने कहा कि वो कुछ और महीने प्रधानमंत्री बने रहना चाहते हैं. हाल के दिनों में जब ये बाद फिर से उठी तो महाथिर का जवाब था कि एपीईसी के 2020 शिखर सम्मेलन के बाद ही वो सत्ता छोड़ेंगे. पकातान हरापान गठबंधन के अंदर तमाम अंदरूनी बहस के बाद अनवर ने इस प्रस्ताव को भी गहन राजनीतिक समझ और संयम दिखाते हुए मान लिया. इन डेढ़ वर्षों में कई बार ये अफवाहें सामने आईं कि महाथिर अनवर के इतर किसी और को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं. मलेशिया में चल रही राजनीतिक उठापटक को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए. 

अजमिन अली जो कि अनवर के सहयोगी रहे है लेकिन महाथिर के करीबी हैं, उनका नाम बार बार प्रधानमंत्री के दावेदार के तौर पर आता रहा है.

इन्हीं अफवाहों को मानो मूर्त रूप देने के लिए अजमिन ने पीकेआर के 10 सांसदों के साथ गठबंधन और पार्टी से बाहर निकलने का फैसला कर लिया और जिसके चलते सरकार पर समर्थन का संकट बन आया. इसी घटनाक्रम के बीच महाथिर ने सोमवार 24 फरवरी को त्यागपत्र दे दिया. मलेशिया के राजा अगोंग ने उनके त्यागपत्र को स्वीकार तो कर लिया लेकिन महाथिर को अंतरिम प्रधानमंत्री बने रहने को भी कहा है जिससे राजनीतिक हलकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

अगोंग के निर्णय के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि कोरोना वायरस के आर्थिक खतरे और आर्थिक मंदी से रूबरू मलेशिया को स्थिरता की जरूरत है. बृहस्पतिवार को पकातान हरापान सरकार को एक आर्थिक पैकेज की घोषणा करनी है जिसे आर्थिक समस्याओं से जूझने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.

अगर राजनीति को ताश का खेल माना जाए तो फिलहाल इस खेल में सबसे मजबूत स्थिति महाथिर की ही है. विपक्षी यूएनएनओ और पीएएस उनके समर्थन में दिख रहे हैं हालांकि महाथिर की सिर्फ अपनी पसंद के सांसद चुनने की शर्त ने उन्हें नाराज भी किया है और इसी वजह से इन पार्टियों ने फिर से चुनाव करवाने की इच्छा भी जाहिर कर दी है. ये इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अगोंग ने सभी 220 सांसदों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है और उनकी बहुमत के नेता के बारे में राय मांगी है.

Rahul Mishra
डॉ. राहुल मिश्रातस्वीर: Privat

पीएम इन वेटिंग अनवर को मलेशिया की जनता का एक अच्छा समूह समर्थन करता है, खास तौर पर युवावर्ग और उदारवादी विचारों के लोग. फिर से चुनाव हों तो शायद वो बहुमत भी पा सकेंगे लेकिन वर्तमान परिस्थिति में यह साफ दिख रहा है कि उनकी शराफत ही उनकी कमजोरी बन गई है. अगर किसी अजूबे के चलते वो सत्ता में आ भी गए तो ये बहुत कम समय के लिए ही होगा. अगोंग की राय और आकलन का भी इसमें खासा बड़ा रोल रहेगा. जहां तक महाथिर का सवाल है तो वो प्रधानमंत्री बने रहना चाहते थे और कम से कम तब तक तो बने ही रहेंगे जब तक नई सरकार का गठन ना हो जाए. जाहिर है देश में उथल पुथल मची है लेकिन महाथिर अपने किले में आराम से हैं. देखना दिलचस्प होगा कि मलेशिया की आम जनता सब कुछ जान पाएगी या नहीं, और अंदर और बाहर के भेद को पहचान कर अपना भविष्य तय कर सकेगी या नहीं.

(राहुल मिश्रा मलय यूनिवर्सिटी में सीनियर लेक्चरर और दक्षिण पूर्व एशिया के जानकार हैं.)

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