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इस हफ्ते यूरोप में ऐसी रही हलचल

अपूर्वा अग्रवाल
१३ अप्रैल २०१८

44 देशों को खुद में समेटे यूरोपीय महाद्वीप हर दिन किसी न किसी वजह से खबरों में रहता है. राजनीतिक मसलों के अलावा यहां पर्यावरण और सांस्कृतिक मसलों पर भी काफी कुछ होता रहता है. एक नजर इस हफ्ते घटी यूरोप की बड़ी घटनाओं पर.

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Symbolbild EU-Erweiterung
तस्वीर: Getty Images

ब्रिटेन ने लगाए हाथी दांत के कारोबार पर प्रतिबंध

ब्रिटिश सरकार हाथी दांत के कारोबार पर रोक लगाने के मकसद से दुनिया के सबसे कड़े प्रतिबंध लागू करने जा रही है. 3 अप्रैल को लिए गए फैसले में देश के पर्यावरण मंत्री माइकल गोव ने कहा कि इस प्रतिबंध में हाथी दांत से बनी सभी वस्तुएं शामिल होंगी. नियमों का उल्लघंन करने वाले को जुर्माने समेत अधिकतम पांच साल कैद की सजा हो सकती है. सरकार के इस फैसले पर देश के पर्यावरण संरक्षण समूहों ने खुशी जताई है. ब्रिटेन हाथी दांत और इससे बनने वाली वस्तुओं का सबसे बड़ा निर्यातक है. जानकार मानते हैं कि  बाजार में हाथी दांत और इससे बनी वस्तुओं की मांग बढ़ने से हाथियों के शिकार को प्रोत्साहन मिलता है. माइकल गोव ने कहा कि ब्रिटेन भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए हाथियों को संरक्षित करना चाहता है. 

Global Ideas küssende Tiere Elefanten
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/P. Espeel

हंगरी में सरकार बनाएंगे विक्टर ओरबान

8 अप्रैल 2018 को हंगरी में हुए संसदीय चुनावों में प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की पार्टी ने भारी जीत दर्ज की है. ओरबान इस जीत के बाद चौथी बार सरकार बना रहे हैं. ओरबान की फिुदेश पार्टी को दो तिहाई से ज्यादा सीटें मिली हैं, हालांकि विपक्षी दल चुनाव नतीजों की आलोचना कर रहे हैं. विपक्ष के मुताबिक चुनाव पारदर्शी ढंग से नहीं कराए गए हैं.  चौथी बार सरकार बनाने को तैयार ओरबान को यूरोपीय संघ की आप्रवासन नीतियों का धुर विरोधी माना जाता है. यूरोपीय नीतियों का विरोध करते हुए हंगरी अपने हिस्से में आए शरणार्थियों को लेने से पहले ही मना कर चुका है. शरणार्थी विरोधी नीतियों में हंगरी, पोलैंड के साथ खड़ा नजर आता है. (http://p.dw.com/p/2vhSj)

Ungarischer Premierminister Viktor Orban
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/G. Vanden Wijngaer

फ्रांस और जर्मनी की हड़तालों ने किया आम जीवन प्रभावित

अगर आप अगले तीन महीने के भीतर फ्रांस की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो हो सकता है कि हड़ताल की खबर आपके कानों तक पहुंचे. देश का परिवहन क्षेत्र लगातार देश में प्रदर्शन और हड़ताल कर रहा है. कर्मचारी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के प्रस्तावित आर्थिक सुधारों का विरोध कर रहे हैं. हड़ताल के चलते देश में ट्रेन और हवाई सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. हालांकि यह हाल सिर्फ फ्रांस का ही नहीं है बल्कि 10 अप्रैल के दिन जर्मनी में भी वेतन वृद्धि की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों ने सांकेतिक हड़ताल की. इसके चलते देश भर में परिवहन सेवाएं प्रभावित हुई. जर्मन विमान सेवा लुफ्थांसा के 1600 विमानों ने उड़ान नहीं भरी जिसके चलते करीब 90 हजार यात्री जर्मनी के हवाई अड्डो पर फंसे रहे. फ्रांस में अप्रैल से लेकर जून तक रेल हड़ताल का सिलसिला बना रहेगा. (http://p.dw.com/p/2vkq7)

Deutschland Verdi ruft zu Warnstreiks auf - Flughafen Frankfurt
तस्वीर: Reuters/K. Pfaffenbach

गुड फ्राइडे समझौते के 20 साल पूरे

इतिहास में बेलफास्ट समझौते के नाम से मशहूर इस समझौते को 10 अप्रैल 2018 को बीस साल पूरे हो गए. 1960 से 1990 तक चली लंबी जातीय हिंसा की आग को इस समझौते के जरिए बुझाने की कोशिश हुई थी. इस दौरान उत्तरी आयरलैंड में हुई हिंसा को इतिहास में "द ट्रबल्स" के नाम से भी जाना जाता है. विवाद उत्तरी आयरलैंड की बहुमत प्रोटेस्टेंट(लॉयलिस्ट) आबादी और अल्पसंख्यक कैथोलिक (नेशनलिस्ट) आबादी के बीच शुरु हुआ. नेशनलिस्ट चाहते थे कि ब्रिटेन के अधिकार क्षेत्र में आने वाले उत्तरी आयलैंड का दक्षिणी आयरलैंड (आज के वर्तमान आयरलैंड) के साथ एकीकरण हो और आयरलैंड गणतंत्र की स्थापना की जाए. लेकिन लॉयलिस्ट इसके पक्ष में नहीं थे.

Großbritannien Nordirland Beerdigung Martin McGuinness
तस्वीर: Getty Images/D. Kitwood

लंबे विवाद के बाद 10 अप्रैल 1998 को हुए गुड फ्राइडे समझौते में यह तय किया गया कि उत्तरी आयरलैंड, ब्रिटेन का ही हिस्सा बना रहेगा लेकिन अगर भविष्य में अगर यहां की जनता आयरलैंड में शामिल होना चाहेगी तो उस पर ब्रिटेन कोई एतराज नहीं जताएगा. लेकिन आज 20 साल बाद स्थिति काफी बदल गई है. साल 2017 में उत्तरी आयरलैंड में साझा सरकार गिरने के बाद लॉयलिस्ट और नेशनलिस्टों के बीच काफी मतभेद पैदा हो गया है जबकि ब्रेक्जिट ने आयरलैंड और उत्तरी आयरलैंड के कारोबारी, सांस्कृतिक रिश्तों पर सवाल खड़ा कर दिया है. (http://p.dw.com/p/2vqms)

इंटरनेशनल बैंक नोट ऑफ द ईयर अवार्ड 

स्विट्जरलैंड में चलने वाले 10 स्विस फ्रैंक के नोट ने साल 2017 का बैंक नोट ऑफ द ईयर का अवॉर्ड जीता है. साल 1961 में स्थापित की गई इंटरनेशनल बैंक नोट सोसाइटी इसका हर साल चयन करती है. इस कॉम्पिटिशन में स्कॉटलैंड और नॉर्वे के नोट रनरअप रहे. भारत में चलने वाला 200 रुपये का नोट भी इस प्रतियोगिता में शामिल हुआ था.